हज़रत शाह भीलम मजज़ूब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
आप अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के महबूबो मुहिब और उस की राह में शहीद थे, अंधों और बीमारों को आप की बारगाह से शिफा मिलती थी,
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुबारक हुमायूँ के मकबरे के पीछे जो हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह की खानकाह और चिल्ला शरीफ है इससे उत्तर की जानिब अंदर को जा कर है, दादा पीर के नाम से मशहूर हैं
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

