हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

विलादत शरीफ

हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की पैदाइश 1279/ हिजरी मुताबिक 1862/ ईसवी में बा मकाम इहाता काले साहब, गली कासिम जान, दिल्ली 6/ में हुई, हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह बचपन ही से अल्लाह पाक के ज़िक्र में मशगूल रहते थे, आप के बेशुमार खुलफ़ा थे, दिल्ली में आप की नेकी का बहुत ज़ियादा चर्चा था अपने पराए बेगाने सब आप का अदबो एहतिराम करते थे,

सिलसिलए नसब

हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह वालिद माजिद की जानिब से आप का सिलसिलए नसब हज़रत ख्वाजा शैख़ सलीम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह से शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह तक, और यहाँ से अमीरुल मोमिनीन हज़रते सय्यदना उमर फ़ारूके आज़म रदियल्लाहु अन्हु तक पहुँचता है, आप फारूकी, फरीदी, सलीमी, और फ़ख़री, हैं, क्यों के आप की वालिदा मुकर्रमा हज़रत मौलाना फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के पोते हज़रत गुलाम नसीर उर्फ़ काले साहब! रहमतुल्लाह अलैह की साहबज़ादी थीं,

खिलाफ़तो इजाज़त

आप रहमतुल्लाह अलैह हज़रत शाह अब्दुस सलाम फरीदी रहमतुल्लाह अलैह के साहबज़ादे और इन्ही के मुरीदो खलीफा हैं, और आप को अपने नाना जान हज़रत गुलाम नसीर उर्फ़ काले साहब! रहमतुल्लाह अलैह और मामू हज़रत गुलाम निज़ामुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह, और हज़रत ख्वाजा अल्लाह बख्श चिश्ती तूंसवी रहमतुल्लाह अलैह से भी आप को खिलाफ़तो इजाज़त थी।

तबलीगो इरशाद

हज़रत ख्वाजा शाह अब्दुस समद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह ने काफी किताबें भी लिखीं, आप की किताब “इस्तिलाहाते सूफ़िया” बहुत मशहूर है, आप रहमतुल्लाह अलैह ने तकरीबन 50/ साल तबलीग़े दीन, इसलाहो तरबियत रुश्दो हिदायत, खिदमते खल्क, और इशाअते सिलसिलए चिश्तिया में हमातन मशग़ूलो मसरूफ रहते थे।

खानकाह की तामीर

आप रहमतुल्लाह अलैह ने अपने वालिद मुकर्रम के मज़ार पर बहुत उम्दह दरगाह और मस्जिद तामीर कराइ थी, जो आज भी मरजए खलाइक है, आप के बाद आप के बड़े फ़रज़न्द अकबर शाह मुहम्मद सानउद्दीन हाजी मियां सज्जादा नशीन हुए, और इन के बाद इन के भतीजे शाह मुहम्मद बाकर फरीदी सज्जादा नशीन हुए, इनके बाद अब शाह मुहम्मद उमर फरीदी साहब, सज्जादा नशीन हैं,

वफ़ात

आप रहमतुल्लाह अलैह ने 21/ रबिउस सानी, 1259/ हिजरी मुताबिक 29/ मई 1940/ को पाई।

मज़ार मुबारक

आप रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार शरीफ, कनाट प्लेस, नियर लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली, मरीना होटल के सामने दरगाह अब्दुस सलाम से मशहूर है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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