हज़रत फ़तेह खान देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
आप रहमतुल्लाह अलैह फ़िरोज़ शाह के साहबज़ादे हैं, साहिबे हाल और फ़कीर दोस्त थे, वो मुक़द्दस पथ्थर जिस पर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम के कदम मुबारक का निशान है, आप ही के मज़ार शरीफ पर नसब था, मगर अब वो मौजूदा पीर के घर में रखा हुआ है,
कदमे रसूल सलल्लाहु अलैही वसल्लम
जिस को हज़रत ख्वाजा जलालुद्दीन बुखारी मखदूम जहानियाँ जहाँ गश्त रहमतुल्लाह अलैह मदीना शरीफ से निहायत ही एहतिराम के साथ अपने सर पर रख कर दिल्ली लाए थे, और जिस की ख़ुशी में फ़िरोज़ शाह ने ख़लीफ़ए मिस्र को एक करोड़ तेरह लाख दिरहम नक़द दिए थे, बादशाह ने इस मुकद्द्स पथ्थर के लिए एक ईमारत बनवाई और हज़रत फ़तेह खान देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से ये इकरार कराया के जो पहले ख़त्म हो जाएगा ये पथ्थर उसकी कब्र पर नसब किया जाएगा, हज़रत फ़तेह खान देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ये ख्वाइश थी के वालिद माजिद से पहले मुझ को मोत आ जाए ताके ये मुकदस पथ्थर मेरी कब्र पे नस्ब किया जाए, इस के लिए आप अल्लाह के वालियों से दुआ कराते थे, के बादशाह से पहले में मर जाऊं, चुनांचे ऐसा ही हुआ, और वो पथ्थर मुबारक आप की कब्र पर नसब किया गया, 1947/ ईसवी के ग़दर में शरीरों ने इस पथ्थर को उखेड़ कर एक गढ़े में डाल दिया था, इस लिए वो पीर जी के घर में रखा हुआ है, हर साल हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम के मुस्सरर्त मोके पर इस की ज़ियारत कराइ जाती है, काफी हुजूम होता है, शुरू ही से बड़े बड़े बुज़ुर्गाने दीन, मसशाइखे किराम उल्माए उज़्ज़ाम, कदमे रसूल नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम की ज़ियारत को तशरीफ़ लाते थे, और इस का बहुत अदबो एहतिराम करते थे।
वफ़ात
आप रहमतुल्लाह अलैहा ने 776/ हिजरी मुताबिक 1374/ ईसवी को वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार शरीफ, सदर बाज़ार मोहल्ला नबी करीम दिल्ली 5/ में कदम शरीफ में के नाम से मशहूर है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

