हज़रत ख्वाजा मौलाना कासिम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह
आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के भांजे हज़रत ख्वाजा उमर के फ़रज़न्द और हज़रत ख्वाजा अबू बक्र मुसल्ला दार रहमतुल्लाह अलैह के भतीजे हैं, आप ने अरबी ज़बान में कुरआन शरीफ की एक तफ़्सीर लिखी थी जिस का नाम “लताइफुतफ़्सीर” था,
सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह की शफकत
हज़रत ख्वाजा मौलाना कासिम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! जब आप की उमर चार की हुई तो आप की वालिदा माजिदा आप को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के पास ले गईं, ताके आप के हुक्म से उन को मकतब भेजा जाए, आप ने उनपर शफकत फरमाते हुए अपने दस्ते मुबारक से तख्ती लिख कर उन को दी, जब आप ये तख्ती लिख रहे थे और आप ने तख्ती लिखते वक़्त हज़रत ख्वाजा मौलाना कासिम चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! को खड़ा किया लेकिन आप बैठ गए, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के खादिम ख्वाजा इक़बाल साहब, ने फिर उन को खड़ा कर दिया, आप फिर बैठ गए, ख्वाजा इक़बाल साहब ने इन को फिर खड़ा करना चाहा लेकिन सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया इसको बैठा रहने दो ये बैठ कर पढ़ेगा,
चुनांचे इसी तरह बैठे हुए आप ने प्यार से एक दो मर्तबा उस दिन का सबक उनको पढ़ाया, फिर दुआ देते हुए, फ़रमाया अल्लाह पाक उस लड़के की उमर दराज़ फरमाए और इल्मों अमल से सरफ़राज़ फरमाए, आप ने 12/ साल की उमर में कुरान शरीफ हिफ़्ज़ किया, और एक अरसा तक हज़रत मौलाना जलालुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में रह कर सारे उलूम पढ़ कर मुकम्मल किए और हिदाया! बज़ूरी! कश्शाफ़! मशरिकुल अनवार! और मिश्क़ातुल मासबीह ये सारी क़ुतुब मुकम्मल पढ़ी और सनद हासिल की,
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ दरगाह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के अंदर हज़रत ख्वाजा अबू बक्र मुसल्ला दार रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार मुक़द्दस के पीछे ही मरजए खलाइक है
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली