सीरतो ख़ासाइल
आप हज़रत सय्यद मुहम्मद बिन महमूद किरमानी रहमतुल्लाह अलैह के शहज़ादे हैं, आप ने सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की सुह्बते बा फैज़ में तरबियत पाई थी, हज़रत ख्वाजा सय्यद अमीर अहमद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! बहादुरी शुजाअत जवां मर्दि में हैदरे सानी थे, सच्चाई, दानाई अक्लो शऊर में कमाल रखते थे, फकीरों और मिस्कीनों को सोने चांदी के सिक्के अता फरमाते थे, अगरचे आप जागीर और माल वाले थे लेकिन दुरवेशी की तमाम खूबियां आप के अंदर मौजूद थीं, सच्चाई के सिवा कोई बात आप की ज़बान पर नहीं आती थी, ये सब सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की तरबियत का फैज़ान था, आप के वालिदैन आप से बहुत खुश रहते थे।
विलादत
सय्यद नूरुद्दीन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह जो इनके बड़े भाई हैं फरमाते हैं के जब मेरे भाई अमीर अहमद वालिदा माजिदा के शिकम में थे और में और वालिद माजिद बाहर से घर को आ रहे थे, रास्ते में एक अल्लाह के दीवाना से हमारी मुलाकात हुई, उन्होंने मेरे वालिद से फ़रमाया तुम्हारे घर में लड़का पैदा होगा, उस का नाम “अमीर अहमद” रखना जैसे ही हम घर आये मेरे भाई अमीर अहमद पैदा हुए।
करामत
सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने आप को जब के आप तेलंगाना फौज में खान के उहदे पर थे किसी वजह से कैद कर के जेल खाना में डाल दिया और निहायत सख्त सज़ा दी, वो कैद खाना इतना भयानक था के उस के लिए मशहूर है के जो इस में जाता ज़िंदह वापस नहीं आता क्यों के इस में सांप, चियोटे, बिल्ली की तरह चूहे बड़ी कसरत से थे जो आदमी को ज़िंदह नहीं छोड़ते थे, कुछ दिनों तक हज़रत ख्वाजा सय्यद अमीर अहमद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह इस कैद खाने में रहे लेकिन कैद खाने के दरोगा और मुहाफ़िज़ और ये सारे मूज़ी जानवर आप को कोई तकलीफ ना पंहुचा सके, कैद खाने में एक करामत आप की ये थी के रातों को अल्लाह के हुक्म से आप की ज़ंजीरें खुद बखुद टूट जाती थीं, जब दरोगा वगेरा और मुहाफ़िज़ों ने कई दिन तक आप की ये हालत देखि तो उन्होंने इस की इत्तिला सुल्तान मुहम्मद तुगलक को दी, सुल्तान ने रिहा करने का फरमान जारी कर दिया और बादशाह ने मलिक मुअज़्ज़म का उहदा दे कर अपना मुशीर बना लिया,
बीमारी ठीक हो गई
हज़रत ख्वाजा सय्यद अमीर अहमद चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह एक मर्तबा बीमार हो गए, तनहा चार पाई पर कमरे में लेटे हुए थे, आप ने देखा के कोई शख्स खिड़की से सर निकाल कर अंदर झाँक रहा है, आप ने कहा कौन है? उस शख्स ने कहा में अली मुश्किल कुशा!
रदियल्लाहु अन्हु हूँ ये कहकर वो ग़ायब हो गए, उसी वक़्त आप की बिमारी अच्छी हो गई।
वफ़ात
आप रहमतुल्लाह अलैह ने 1/ जमादीयुल आखिर 728/ हिजरी मुताबिक 1328/ ईसवी को वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के अहाते में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली