बैअतो खिलाफत
आप नामे नामी इस्मे गिरामी “मौलाना इमामुद्दीन” है, लेकिन मीर मुहम्मदी के नाम से मशहूर हुए, हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह को खिलाफ़तो इजाज़त मुहिब्बुन नबी हज़रत मौलाना ख्वाजा फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह से हासिल थी, आप एक खुश अख़लाक़ बुज़रुग थे, मिर्ज़ा सलीम आप से बेहद अक़ीदतो मुहब्बत रखते थे, जो हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद थे, हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह को मिर्ज़ा सलीम से इतनी मुहब्बत हो गई थी के आप ने ये वसीयत की के मेरे इन्तिकाल के बाद अपने घर में ही तद्फीन करना, मिर्ज़ा सलीम ने इस वसीयत को ख़ुशी ख़ुशी और पूरी अकीदत के साथ कबूल किया, आप के इन्तिकाल के बाद आप को मिर्ज़ा सलीम के घर में ही तद्फीन की गई, आप ने “कादरी फैज़ान” अपने मामू शाह फ़तेह अली से हासिल किया था, हज़रत शैख़ शाह फ़तेह अली का मज़ार मुबारक भोजला पहाड़ी पर है, ये जगह खानकाहे मीर मुहम्मदी के नाम से मशहूर है,
विसाल
हज़रत ख्वाजा शैख़ मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! का विसाल 1242/ हिजरी, मुताबिक 1826/ ईसवी को बादशाह अकबर शाह दोइम के दौर में हुआ।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुक़द्द्स दौरे हाज़िर में अब्दुल कुद्दूस मकान नंबर 2487/ चितली कबर रोड पर मस्जिद अब्दुल क़ादिर के सामने वाके है,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें