बैअतो खिलाफत
हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन हकीम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के जलीलुल क़द्र खुलफाए किराम में से थे, इस के अलावा सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में भी मकबूल थे,
आप की दुआ
हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के वालिद मुकर्रम एक बहुत बड़े ताजिर थे, अल्लाह पाक ने दीनी इज़्ज़त के साथ साथ दुनियावी इज़्ज़त भी अता फ़रमाई थी, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से बहुत अक़ीदतों मुहब्बत रखते थे, आप की उमर बुढ़ापे के करीब पहुंच गई थी, लेकिन अभी तक आप के कोई औलाद नहीं थी, इनको इस बात का बहुत अफ़सोस था के अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से काफी दौलत मेरे पास है लेकिन औलाद कोई नहीं है,
जाओ तुम्हारे लड़का होगा
एक दिन सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह पर हाल की कैफियत तारी हुई तो इसी आलम में हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी पीठ इन के वालिद माजिद की पीठ से रगड़ दी और फ़रमाया के जाओ तुम्हारे लड़का होगा, आप चूंके सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से बहुत अक़ीदतों मुहब्बत रखते थे, इस लिए बच्चे की ख्वाइश में अपनी बीवी के पास गए और इस के बाद अल्लाह पाक के हुक्म से इनकी बीवी हामिला हो गईं, जब हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह पैदा हुए तो इनके वालिद मुहतरम इनको सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में लेकर हाज़िर हुए, हज़रत ने इन्हें अपनी गोद में ले लिया, जब तक हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की गोद मुबारक में रहे बराबर हज़रत के चेहराए मुनव्वर को देखते रहे, हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के चेहरे से उस वक़्त शऊर के असरात मुता रशशहे हो रहे थे, जिसका हाज़रीन ने भी एहसास किया, फिर सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने अपने लिबास से कपड़ा फाड़ कर हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का कुरता सिला और इनको हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के सुपुर्द कर दिया और आइंदा चल कर इन के अज़ीम बुज़रुग होने की पेंशन गोई फ़रमाई।
करामत
हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह फन्ने तिब में भी बहुत महारत रखते थे, एक मर्तबा परियां आप को उड़ा कर ले गईं ताके एक बीमार पारी का आप से इलाज कराएं, अल्लाह पाक ने आप के दस्ते शिफा से उस पारी को सेहत व शिफा अता फ़रमाई, जब आप वापस होने लगे तो उस पारी ने आप को एक रुक्का लिख कर दिया, और कहा के फुलां गली में जो एक कुत्ता पड़ा रहता है, ये खत उस को दिखा देना, चुनांचे हज़रत ख्वाजा शैख़ सदरुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह उस पते पर उस गली में पहुंचे और वो खत उस कुत्ते को दिखाया तो वो कुत्ता आप के आगे आगे चलने लगा, कुछ दूर चल कर वो कुत्ता रुक गया और ज़मीन कुरेद ने लगा, हकीकत में वहां बहुत बड़ा खज़ाना दफन था, जिस की वो कुत्ता निशानदही कर रहा था मगर आप ने अपने बुज़ुर्गों की तरह बुलंद हिम्मत का सुबूत दिया और उस ख़ज़ाने की तरफ बिलकुल तवज्जुह नहीं फ़रमाई।
वफ़ात
आप ने फ़िरोज़ शाह के दौरे हुकूमत में 759/ हिजरी में वफ़ात पाई,
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार मुबारक चिराग दिल्ली, शैख़ सराए फेस 1/ सावित्री नगर, में था, लेकिन अब डी, डी, ऐ, ने शहीद कर के पार्क बना दिया है, एक ऊंची जगह पर निशान बाकी है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए माज़राते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें