हज़रत मौलाना दुरवेश मुहम्मद वाइज़ देहलवी रहमतुल्लाह अलैह
आप ने अल्लाह पाक की मारफअत और क़ुरब नज़दीकी हासिल करने के लिए उसकी राह में बड़ी बड़ी रियाज़तें मुजाहिदात किए,आप सूरतो सीरत के लिहाज़ से भी दुरवेश थे, पूरी उमर आप ने इसी जिद्दो जहिद में गुज़ारी, साहिबे ज़ोको शोक और खुशगवार सुहबत रहे, आप का असली वतन मावरा उन्नहर! था आप ने बरसों हरमैन शरीफ़ैन यानि मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में फ़क्ऱो रियाज़त, मुजाहिदा व इबादत की ज़िन्दगी बसर की, आप हुमायो के दौरे हुकूमत तकरीबन 955/ हिजरी में हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए और यहाँ के अक्सरो बेश्तर सूफ़ियाए किराम मशाइख़ीन की सुहबत में रहे, फिर दिल्ली में फकीराना ज़िन्दगी गुज़ारी।
वफ़ात
आप ने बादशाह अकबर के दौरे हुकूमत में 977/ हिजरी में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुबारक महरोली शरीफ दिल्ली तीस 30/ में औलिया मस्जिद से एक रास्ता पंखे वाली मस्जिद के पीछे से ऊपर को जा रहा है, वहां हज़रत ख्वाजा नजीबुद्दीन फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह से आगे हज़रत ख्वाजा महमूद बल्खी उर्फ़ शकर पीर बाबा के बराबर में है, और आप के बराबर में पूरब की तरफ को हज़रत शैखुल इस्लाम नजमुद्दीन सुगरा रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार शरीफ है, जो सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश के दौर में शैखुल इस्लाम के उहदे पर फ़ाइज़ थे।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली