खिलाफ़तो इजाज़त
आप हज़रत मौलाना इमादुद्दीन मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत मौलाना फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदो खलीफा हैं, कहते हैं के कादरी सिलसिले का फैज़ान आप ने अपने मामू हज़रत सय्यद फ़तेह अली शाह रहमतुल्लाह अलैह से हासिल किया था, आप बहुत खुश अख़लाक़ बुज़रुग थे, आप की सारी ज़िन्दगी तस्लीमा रज़ा में गुज़री हज़रत मौलाना फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने इन को खिलाफत दे कर शाही खानदान की इस्लाह व तरबियत के लिए मुतअय्यन फरमा दिया था यानि आप को किला मुअल्ला की विलायत अता फ़रमाई गई थी, शाही खानदान के जो लोग हज़रत मौलाना फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से मुरीद थे, इन की तालीमों तरबियत इन्ही के सुपुर्द थी, हर वक़्त उनके यहाँ शहज़ादों की भीड़ लगी रहती थी, बादशाह बहादुर शाह ज़फर भी आप की खिदमत में हाज़िर होते थे, और निहायत धूम धाम से इन की सवारी हज़रत मौलाना इमादुद्दीन मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की खानकाह में पहुँचती थी, गर्ज़ के दिल्ली शहर में बड़ी खूबी के साथ आप ने तबलीग़े इस्लाम का फ़रीज़ा अंजाम दिया, बड़ी खूबियों के मालिक थे, शहर के बहुत लोग और शहज़ादे आप के मुरीद थे, अकबर सानी बादशाह का बड़ा बेटा आप ही का मुरीद था और आप से बहुत मुहब्बत करता था, इसलिए आप को उस ने अपने मकान के सेहन में दफ़न किया और वसीयत के मुताबिक मिर्ज़ा सलीम और उस की बीवी खुसरू ज़मानी को भी आप के बराबर में दफ़न किया,
मुर्शिद की करम नवाज़ी
हकीम अहसनुल्लाह खान कहते हैं के एक दफा हज़रत मौलाना इमादुद्दीन मीर मुहम्मदी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह बीमार हो गए, बादशाह बहादुर शाह ज़फर ने मुझे इन का इलाज करने का हुक्म दिया, में इलाज करता रहा, एक रोज़ मेरे दिल में ख्याल आया के हज़रत मीर मुहम्मदी रहमतुल्लाह अलैह के बहुत मुरीद हैं आज रात इन के पास रहकर देखूं के रात इन की किस हालत में गुज़रती है? चुनांचे में एक रात इन की खिदमत में हाज़िर रहा, में ने देखा के हज़रत! गफलत में रात के एक बजे तक बराबर हज़ियाँ होता रहा जिस में तमाम दुनियावी बातें फरमाते रहे के फुलां शहज़ादे ने ये भेजा है और फुला ने ये भेजा है, अच्छा मेरा सलाम कहना वगेरा वगेरा, एक बजे के बाद हज़रत मीर मुहम्मदी रहमतुल्लाह अलैह होशियार हुए में ने दवा पिलाई, थोड़ी देर में फिर गफलत, हो गई, इस गफलत के होते ही ज़िक्र जारी हो गया और इस कदर ज़ोर से के बहार तमाम सेहन में आवाज़ जा रही थी, जब सुबह हुई तो दवा वगेरा पिलाने के बाद में ने अर्ज़ की के रात को में हज़रत की दो हालतें देखीं, अव्वल रात ये कैफियत थी और आखिर रात ये हालत थी, इस का क्या सबब है? हज़रत मीर मुहम्मदी रहमतुल्लाह अलैह इस पूछने पर आँखों में आंसूं ले आए और फ़रमाया “हकीम साहब बेशक सच कहते हो रात को तकरीबन एक बजा होगा के हज़रत मौलाना फखरुद्दीन फखरे जहाँ चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी ज़ियारत से मुझ को शरफ़ फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया के हज़रत मीर मुहम्मदी रहमतुल्लाह अलैह में ने तुझ को यही तालीम किया है, मुर्शिद के फैज़े करम की इनायत के बाद की कैफियत जो आप बयान करते हैं हुई होगी।
वफ़ात
आप रहमतुल्लाह अलैह ने बहादुर शाह सानी के दौरे हुकूमत में 1242, हिजरी मुताबिक 1826/ ईसवी में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुबारक, दिल्ली 6/ में चितली कबर से आगे जब तुर्कमान गेट को जाएंगें बाएं हाथ को अंदर जा कर मिर्ज़ा सलीम शहज़ादा के मकान के सेहन में है, और बराबर में शहज़ादा सलीम और उस की बीवी खुसरू ज़मानी की कब्रें हैं, खानकाहे मीर मुहम्मदी और आप के मज़ार की हालत ठीक नहीं है,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

