हज़रत मौलाना मुख्लिसुद्दीन कुरकी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत मौलाना मुख्लिसुद्दीन कुरकी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

सीरतो ख़ासाइल

हज़रत मौलाना मुख्लिसुद्दीन कुरकी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह आप का नामे मुबारक “मुख्लिसुद्दीन” था, कुर्क के रहने वाले थे इस लिए कुरकी मशहूर हुए, सुल्तान शमशुद्दीन अल्तमश के दौरे हुकूमत में तशरीफ़ लाए बदायूं के करीब एक मोज़ा गाऊं में रिहाइश इख़्तियार की, हाफ़िज़े कुरान थे, आप का पेशा मुअल्लमी था, रोज़ अपने गाऊं से शहर आ कर लड़कों को पढ़ाते थे, हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! फरमाते हैं के हज़रत मौलाना मुख्लिसुद्दीन कुरकी बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! साहिबे विलायत थे, एक दिन अपने शागिर्दों के साथ शहर आ रहे थे, रास्ते में अक्कुये यानि आक के दरख्तों से शागिर्दों ने कुछ फल तोड़ कर आप को दिखाए, आप ने फ़रमाया ये खीरे हैं, शागिर्द बोले नहीं अक्कुये यानि आक के फल हैं, आप ने फिर फ़रमाया ये खीरे हैं, शागिर्दों ने कहा हज़रत! खीरों का ज़माना नहीं है, ये फल तो हमने अक्कुये यानि आक के पेड़ से तोड़े हैं, आप ने वो फल अपने शागिर्दों से ले लिए और काट कर उनको खिलाए तो वाकई खीरों का ज़ायका था।

विसाल

18/ रमज़ानुल मुबारक 626/ हिजरी को हुआ, या कोई और दूसरी तारीख में हुआ, वल्लाहु आलम ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक बदायूं शरीफ में मरजए खलाइक है।

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

(1) मरदाने खुदा
(2) तज़किरतुल वासिलीन

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