हज़रत ख्वाजा शमशुल आरफीन तुर्क बयाबानी सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शमशुल आरफीन तुर्क बयाबानी सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शमशुल आरफीन तुर्क बयाबानी उर्फ़ दादा मियां सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, आप का नाम “शैख़ मुहम्मद” था, और इन का कलब सदरुद्दीन व शमशुद्दीन था, और आप शमशुल आरफीन के नाम से मशहूर हैं, ज़िक्र जमी औलियाए दिल्ली! में आप का नाम शैख़ तुर्क बयाबानी बताया गया है, और आप हज़रत शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदो खलीफा थे, 1189/ ईसवी में पिरथवी राज चौहान के दौर में दिल्ली आए, और भूजला पहाड़ी पर सुकूनत पज़ीर हो कर इबादत में मसरूफ हो गए, और आप हर वक़्त अल्लाह पाक की इबादत में गर्क रहते थे, इस लिए दुनिया और अहले दुनिया की कोई परवा नहीं थी, अक्सर आप आबादी से दूर जंगल में रहते थे, इस लिए आप को बयाबानी कहते हैं, आप के मुरीदीन का हल्का बहुत वसी था।

अठ्ठारवी सदी ईसवी में लिखी गई किताब “मुरक़्क़ाअ दिल्ली” में लिखा है के: 66हज़रत ख्वाजा शमशुल आरफीन तुर्क बयाबानी रहमतुल्लाह अलैह दिल्ली शहर के क़याम से क़ब्ल दिल्ली तशरीफ़ लाए थे और भूजला पहाड़ी पर सुकूनत इख़्तियार की, इन्तिकाल के बाद यहीं दफ़न हुए, रजब के महीने में आप का उर्स होता है, उस दिन दरगाह को चिराग और मोम बत्ती से इस तरह रोशन किया जाता है के पूरी दिल्ली रोशन हो उठती है, आप के मज़ार मुबारक पर बहुत सुकून हासिल होता है आप का मज़ार शरीफ जन्नत की तरह है जहाँ हर वक़्त खुशुबू फैलती रहती है, परेशानी के वक़्त लोग यहाँ आ कर आप से मदद मांगते हैं और अपने अक़ीदे के मुताबिक मुराद पाते हैं।

वफ़ात

आप ने 637/ हिजरी में रुकनुद्दीन फ़िरोज़ के दौरे हुकूमत में वफ़ात पाई, 22/ रजब को आप का उर्स मनाया जाता है।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक अन्दरूने तुर्क मान गेट, मोहल्ला कब्रिस्तान दिल्ली 6, में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • दिल्ली के 32, ख़्वाजा
  • रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
  • औलियाए दिल्ली की दरगाहें

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