हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

तालीमों तरबियत

हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! आप शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह के नवासे थे, आप ने सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के हुक्म से हज़रत ख्वाजा क़ाज़ी मुहीयुद्दीन काशानी रहमतुल्लाह अलैह से तालीम हासिल की, आप को भी ये शरफ हासिल हुआ के सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मलफ़ूज़ात को जमा कर उसका नाम तुहफ़तुल अबरार! और करामाते अखियार! रखा, आप फन्ने किताबत में अपना जवाब नहीं रखते थे,

मेरे मखदूम ज़ादों से ऊंचा न बैठो

एक मर्तबा सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के दस्तरख्वान पर हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन पाइली रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! से ऊपर बैठे सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत मौलाना वजीहुद्दीन पाइली रहमतुल्लाह अलैह, से फ़रमाया मौलाना! जिस तरह में ये नहीं चाहता के कोई ज़ुल्फ़ों वाला इमामा वाले से ऊंचा बैठे इसी तरह में ये भी चाहता हूँ के कोई इमामे वाला मेरे मखदूम ज़ादों से ऊंचा न बैठो, ख़्वाह मखदूम ज़ादा ज़ुल्फ़ों वाला ही क्यों न हो? इत्तिफाक ये के मौलाना को ये मालूम नहीं था के हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह के नवासे हैं, मौलाना ने उसी वक़्त कदम बोस हो कर माज़रत करते हुए अर्ज़ किया मुझे मालूम न था के शैखुल इस्लाम हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह के नवासे हैं वरना हरगिज़ में ये जुरअत नहीं करता।

हज़रत ख्वाजा शैख़ अज़ीज़ुद्दीन सूफी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! फरमाते हैं के एक मर्तबा में सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में हाज़िर हुआ वो उस वक़्त क़िबला रू दो ज़ानों इस तरह बैठे थे, के इन की ऑंखें और चेहरा आसमान की तरफ था, और जमाले परवरदिगार में महवो मुस्तग़रक थे, में डर गया के में ऐसे नाज़ुक तरीन वक़्त में आया हूँ, में एक घंटा खड़ा रहा और इस पूरे वक्फे में आप का कोई खादिम वगेरा भी नहीं आया, इस के बाद आप ने इस तरह झुरझुरी ली जिस तरह चिड़िया फड़फड़ाती है और अपनी असली हालत पर आने के बाद आप ने अपनी आँखों पर हाथ फेरे और मुझ से पूछा के तुम कौन हो? मेने अर्ज़ किया अज़ीज़ हूँ, इस के बाद आप ने मुझ पर शफकत फ़रमाई और अपनी रहमत से नवाज़ा।

वफ़ात

आप ने 691/ हिजरी में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ दरगाह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के अंदर हज़रत ख्वाजा अबुल हसन अमीर खुसरू रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार मुक़द्दस के कदमो की जानिब में ही मरजए खलाइक है

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली

Share this post