विलादत शरीफ
हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की पैदाइश 898/ हिजरी में यूपी के शहर जौनपुर में हुई, और डेढ़ साल की उमर में अपने वालिद माजिद हज़रत हसन ताहिर रहमतुल्लाह अलैह के साथ दिल्ली तशरीफ़ लाए और जब होश संभाला तो हज़रत सय्यद मुहम्मद बुखारी बिन हाजी अब्दुल वहाब से इल्म हासिल किया और इन से सिलसिलए आलिया सोहरवर्दिया का खिरकाए खिलाफत पहना।
सीरतो ख़साइल
हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत शैख़ हसन ताहिर रहमतुल्लाह अलैह के फ़रज़न्दे अर्जमन्द हैं, और अपने वालिद मुकर्रम के खलीफा हज़रत क़ाज़ी खान ज़ाफराबादी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदो खलीफा हैं, आप अपने वक़्त के मशाइखे चिश्त के मश्हूरो मारूफ बुज़रुग थे, इल्मे शरीअतो तरीकत के आलिम थे, बचपन ही से इतनी इबादतों रियाज़त की के सूफ़ियाए किराम बुज़ुर्गाने दीन की जमात में आला मकाम रखते हैं, शुरू में जो वज़ीफ़ा और औकात मुकर्रर किए थे वो आखरी उमर तक बाकी रखे, बुज़ुर्गों की पैरवी और उनके क़वाइद और आदाब की हिफाज़त में बे मिसाल थे,
तवाज़ो बुर्दबारी, सब्रो इस्तिकामत तस्लीमा रज़ा, मखलूके खुदा पर शफकत और फकीरों की रियायत करने में अपनी मिसाल आप थे, मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के वालिद गिरामी हज़रत शैख़ सैफुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह फरमाते थे, के हमने हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! को जवानी के आलम में देखा तो हम रोने लगे क्यों के आप चेहरे से शोके इलाही और ग़ुरबत टपकती थी।
बैअतो खिलाफत
हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की उमर शरीफ तीन साल की थी तो आप के वालिद मुकर्रम का इन्तिकाल हो गया और वो अपना बातनी फैज़ आप के लिए बतौरे अमानत अपने मुरीदो खलीफा हज़रत काज़ी खान ज़ाफ़रादाब रहमतुल्लाह अलैह के हवाले कर गए, जब आप बड़े हो गए तो हज़रत काज़ी खान ज़ाफ़रादाब रहमतुल्लाह अलैह ने अपने बेटे अब्दुल्लाह को हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! के पास भेजा ताके इन को वो अमानत दें जो इन के वालिद इन को सौंप गए थे और ये भी कहला भेजा के में खुद आता हूँ मगर मजबूरी ये है के इस सिलसिले में तलब व ख्वाइश शर्त है, हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ये सुनते ही कुछ कपड़े और घोड़े नकदी वगेरा अपने साथ लेकर ज़ाफराबाद रवाना हो गए,
जब वहां पहुंचे तो सारे सामान को अल्लाह पाक की राह में दे दिया और मुसलसल तीन साल तक तनहा रियाज़तो मुजाहिदा किया और हज़रत काज़ी खान ज़ाफ़रादाब रहमतुल्लाह अलैह ने वो अमानत यानि बातनी खिलाफत जो उनके वालिद माजिद ने इन को दी थी, हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह को सौंपी और आप की इजाज़त से दिल्ली वापस तशरीफ़ लाए, और दिल्ली में रुश्दो हिदायत का सिलसिला जारी किया, और इस दौरान फिरसात के वक़्त हज़रत ख्वाजा इब्राहीम इयरजी रहमतुल्लाह अलैह से इल्मे तसव्वुफ़ का इल्म हासिल कर के कादरी सिलसिले से वापस दिल्ली तशरीफ़ लाए और दिल्ली में रुश्दो हिदायत दीनी खिदमात का सिलसिले का खिरका पहना, आप के बारे में रिवायत बयान की जाती है के “हज़रत शैख़ ख्वाजा बाकि बिल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह” जैसी अज़ीज़ हस्ती ने आप के मज़ार शरीफ पर जारूब कशी खिदमत किया करते थे।
सिलसिलए बैअत
हज़रत शैख़ अब्दुल अज़ीज़ शकर बार चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! आप मुरीदो खलीफा हैं, अपने वालिद माजिद हज़रत शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा शैख़ हुस्सामुद्दीन चिश्ती मानकपुरी रहमतुल्लाह अलैह के, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत शैख़ नूरुद्दीन कुतब आलम बंगाली चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के, और आप मुरीदो खलीफा हैं, आप अपने वालिद माजिद मख़्दूमुल आलम हज़रत शैख़ ख्वाजा अलाउल हक पंडवी चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! आप मुरीदो खलीफा हैं, आईनए हिंदुस्तान हज़रत ख्वाजा शैख़ अखि सिराजुद्दीन उस्मान चिश्ती ऊधी बंगाली रहमतुल्लाह अलैह आप मुरीदो खलीफा हैं, सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के।
वफ़ात
आप रहमतुल्लाह अलैह ने 6/ जुमादीयुल उखरा 975/ हिजरी मुताबिक 1067/ ईसवी को बादशा अकबर के दौरे हुकूमत में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार शरीफ, अर्बन हॉस्पिटल के पीछे मेंहदियाँ कब्रिस्तान दिल्ली 6/ में मक्की मस्जिद के सामने मरजए खलाइक है। ।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली