बैअतो खिलाफत
आप हज़रत मौलाना कुतब आलम चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के फ़रज़न्दे अर्जमन्द हैं, आप ज़ाहिरी और बातनी उलूम के जामे और तसव्वुफ़ की किताबो के माहिर बहुत शोक से मुताला करते थे, सूफ़ियाए किराम के इशारों, किनायों को बयान करने में पूरी महारत रखते थे, शुरू में अपने वालिद मुकर्रम से सिलसिलए आलिया चिश्तिया, और कादिरिया में बैअत मुरीद हुए, और वालिद माजिद के पीरो मुर्शिद हज़रत शैख़ नजमुल हक से फ़ैज़ो बरकात हासिल किए, इस के बाद अपने वालिद माजिद के कहने पर शैख़े कामिल हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की सुहबत इख़्तियार फ़रमाई और हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह की निस्बत और आप का फैज़ान हज़रत ख्वाजा शैख़ रफीउद्दीन मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह पर गबलिब आ गया।
अक़्द मसनून
हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के वालिद माजिद हज़रत अल्लामा शाह अब्दुर रहीम रहमतुल्लाह अलैह फ़रमाया करते थे, हज़रत ख्वाजा शैख़ रफीउद्दीन मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह पर शैख़े कामिल हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह बहुत महिर्बान और शफीक थे जो कुछ वो अर्ज़ करते शैख़ कामिल हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह उस को मान लेते थे,
जब हज़रत ख्वाजा शैख़ रफीउद्दीन मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की बीवी का इन्तिकाल हो गया तो उन्होंने चाहा के हज़रत शैख़ मुहम्मद आरिफ आज़मपुरी साहब! की बेटी से निकाह करूँ, चुनांचे आप ने हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से मजलिसे निकाह ख्वानी में चलने की दरख्वास्त की, हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने कमज़ोरी की वजह से उज़्र ज़ाहिर किया तो आप ने अर्ज़ की अगर आप तशरीफ़ नहीं ले जायेंगें तो में भी नहीं जाऊँगा, हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को हज़रत ख्वाजा शैख़ रफीउद्दीन मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की खातिर आज़मपुर जाना पड़ा, जब वहां के सूफ़ियाए किराम को मालूम हुआ के हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह तशरीफ़ ला रहे हैं तो चारो तरफ के सूफ़ियाए किराम इस महफिले निकाह ख्वानी में जमा हो गए और ऐसी अजीबो गरीब महफ़िल हुई के वैसी कभी न सुनी गई।
करामत
एक मर्तबा डाकुओं ने हज़रत ख्वाजा शैख़ रफीउद्दीन मुहम्मद चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के मकान को लूटना चाहा, ये इरादा कर के वो कुछ फासले पर खड़े हो गए और अपने में से एक को आगे भेजा ताके आने जाते का रास्ता देख ले और घर वालों की हालत की भी खबर दे, जब ये जासूस आप के घर में दाखिल हुआ तो अँधा हो गया और इधर उधर हाथ पाऊं मारने लगा जिस की वजह से आप के घर वाले जाग गए और उन्होंने चिराग जलाकर सारी हकीकत समझ गए, हज़रत ने इस पर महरबानी करते हुए कुछ नहीं कहा सिर्फ ये फ़रमाया के चले जाओ, चोर ने जवाब दिया के कैसे जाऊं, बीनाई तो है नहीं और ना ही चलने की ताकत है, हज़रत इस के करीब आए और अपना असा उस के घुटनो और आँखों पर लगाया, यहाँ तक के असा की बरकत से इस मुसीबत से निजात पाकर अपने गिरोह में चला गया और उसने सारा माजरा सुना दिया, इस पर सारे डाकू शर्मिंदा हो कर वापस हो गए,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली