हज़रत ख्वाजा शमशुद्दीन इराकी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शमशुद्दीन इराकी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत सय्यद शमशुद्दीन इराकी व सय्यद अबू तालिब इराकी

ये दोनों बुज़रुग आपस में बहुत मुहब्बत करते थे, सेरो सियाहत का भी बहुत शोक रखते थे, उन्होंने बहुत जगहों की सेर की और वहां के नेक लोगों से फैज़ हासिल किया, इसी मकसद से ये दोनों हज़रात हज़रत सय्यद शमशुद्दीन इराकी व सय्यद अबू तालिब इराकी रहमतुल्लाह अलैहिमा घुमते घामते दिल्ली तशरीफ़ लाए, दिल्ली में उस वक़्त शाह मुहम्मद फ़िरोज़ाबादी बहुत मशहूर थे और बहुत लोग इन के मोतक़िद थे क्यों के इन के कब्ज़े में जिन्नात थे, वो सुल्तान इब्राहीम के ज़माने से ले कर इस्लाम खां बिन शेर खां बादशाह के ज़माने तक हमेशा बा इज़्ज़त रहे,

एक रोज़ शाह मुहम्मद के दिल में आया के ऐसा ना हो के इन नए आने वालों की वजह से मेरी इज़्ज़त में फर्क आ जाए, इन दोनों को अपनी तरफ माइल करना चाहिए, चुनांचे इन्होने इन हज़रात की बहुत ख़ुशामद की के आप अपने नूर से मे्रे घर को मुनव्वर फरमाएं वगेरा वगेरा, ये हज़रात नेक तबियत और गरीब मुसाफिर थे, शाह साहब के घर रहने लगे, एक मर्तबा शाहब से अपनी लड़की सय्यद अबू तालिब के निकाह में देने के लिए इन से कहा आप ने फ़रमाया के हम मुसाफिर हैं, हम तनहा ज़िन्दगी गुज़ारते हैं, आप हमको इन बातों से दूर रखें अलमुख़्तसर हासिदों ने इन हज़रात को क़त्ल कर दिया जिस की वजह से शाह साहब भी जेल में रह कर इन्तिकाल कर गए,

वफ़ात

आप रहमतुल्लाह अलैहाकी शहादत का वाकिअ 955/ हिजरी का है।

मज़ार मुबारक

आप रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार शरीफ, सदर बाज़ार मोहल्ला नबी करीम दिल्ली 5/ में कदम शरीफ में उत्तर पच्छिम कोने में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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