हज़रत ख्वाजा महमूद बहार देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा महमूद बहार देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा महमूद बहार देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

आप हज़रत नासिरुद्दीन सूनी पती रहमतुल्लाह अलैह की औलाद में से हैं, बड़े अज़ीम अल्लाह के वली और उम्दा आलिमे दीन, थे, इसी लिए आप को बहार कहा जाता है, आप सिलसिलए फिरदौसिया के बुज़ुर्गों में से थे।

लड़के को ज़िंदा कर दिया

हज़रत ख्वाजा महमूद बहार देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को मुहीयुल उज़्ज़ाम, और राजा हाड़ गोड़! भी कहते हैं, और ये लक़ब पढ़ने की वजह ये बताई जाती है के एक बेवह बुढ़िया का लड़का सफर को गया था और वो बुढ़िया उससे बहुत मुहब्बत रखती थी, मुद्दत हो गई मगर लड़का सफर से वापस नहीं आया, वो बुढ़िया हमेशा आप की बारगाह में हाज़िर होती और आप से दुआ कराती, आप को नूरे विलायत से मालूम हो गया था के लड़का फुलां जगह मर गया है और उस में हड्डियों के सिवा कुछ बाकी नहीं रहा, आप ने निहायत इंकिसारी से अल्लाह पाक की बारगाह में दुआ की, अल्लाह पाक ने आप की दुआ कबूल फ़रमाई और वो लड़का ज़िंदा हो गया और उस की माँ से मिला दिया, जब से आप का लक़ब मुहीयुल उज़्ज़ाम! (हड्डियों को ज़िंदा करने वाले) और राजा हाड़ गोड़ मशहूर हो गया।

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा महमूद बहार देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़िरोज़ शाह तुगलक के दौरे हुकूमत 778/ हिजरी में वफ़ात पाई, 27/ सफारुल मुज़फ्फर को आप का उर्स होता है,

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ महारानी बाग़, सन लाइट कालोनी, किलोखड़ी गाऊं दिल्ली 14/ में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली
दिल्ली के 32/ ख्वाजा
औलियाए दिल्ली की दरगाहें

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