हज़रत ख्वाजा रफीउद्दीन हारुन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा रफीउद्दीन हारुन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

तालीमों तरबियत

आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के सगे भांजे हज़रत मुहम्मद सालेह के बेटे हैं, आप बड़े बा अख़लाक़ बुज़रुग थे क्यों के आप ने बचपन से ले कर बुढ़ापे तक सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की निगरानी में नशो नुमा तरबियत पाई थी, और आप के फ़ैज़ो बरकात से कुरआन शरीफ भी हिंफ्ज़ किया।

सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की नज़रे करम

सुब्हानल्लाह! सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह इन से इतनी मुहब्बत फरमाते थे के अगर ये खाने के वक़्त मौजूद ना होते तो सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह दूसरे बुज़ुर्गों के मौजूद होने पर भी इनका इन्तिज़ार फरमाते थे, हदिया और तोहफा! में से जो हज़रत की बारगाह में पेश होता तो अपने तमाम अज़ीज़ों से ज़ियादा इन को अता फरमाते थे, इनको ज़ियादा तर अपनी नज़रों के सामने रखते, हंस हंस कर बात चीत करते, हज़रत ख्वाजा रफीउद्दीन हारुन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की मौजूदगी ही में आप के घर और रौज़े के मतवल्ली थे, इनको तीरो कमान और सियाहत और कुश्ती का बहुत शोक था, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह भी इन की रगबत को देख कर बराए शफकत इनको इस बारे में रगबत दिलाते और इस के बारे में इन से पूछते और इन हुनरों की जो शरअन जाइज़ हैं, बारीकियों को समझाते थे, ताके इन का दिल खुश हो जाए,

वफ़ात

आप ने 8/ रजब में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ दरगाह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के अंदर हज़रत ख्वाजा अबुल हसन अमीर खुसरू रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार मुक़द्दस से पूरब की जानिब एक मकान में है, और आप के बराबर में आप के वालिद माजिद और सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के सगे भांजे हज़रत ख्वाजा मुहम्मद सालेह का मज़ार शरीफ भी मरजए खलाइक है

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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