हज़रत ख्वाजा शैख़ बदरुद्दीन समरकंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ज़िन्दगी

हज़रत ख्वाजा शैख़ बदरुद्दीन समरकंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ज़िन्दगी

बैअतो खिलाफत

“मलफ़ूज़ाते शैख़ शरफुद्दीन याहया मनीरी” से पता चलता है के आप हज़रत शैख़ नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाह अलैह से मुरीद थे, “सेरुल औलिया” में लिखा है के आप हज़रत शैख़ सैफुद्दीन बाखर्ज़ी रहमतुल्लाह अलैह के खलीफा थे,

हज़रत शैख़ नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाह अलैह से मालूम किया गया और नीज़ “सीयरुल औलिया” में भी तहरीर है के आप अज़ीम वलीए कामिल अज़ीम सूफी थे, सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के यहाँ सिमा भी सुना करते थे, और बहुत वजीह और हद दर्जा खूबसूरत और खूब सीरत थे, और जब हज़रत ख्वाजा शैख़ बदरुद्दीन समरकंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह का विसाल हो गया, तो आप की वफ़ात के तीसरे दिन सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! तशरीफ़ लाए, मजलिसे सिमा इख्तिमाम पर थी, आप मजलिस से उठ कर दूसरी जगह चले गए, लोगों ने आप को भी शरीक किया, जब आप से दरख्वास्त की गई तो आप ने फ़रमाया के तुम्हारे और इन के दरमियान ज़मीनो आसमान का फर्क है तुम बैठो में नहीं बैठता, नीज़ फ़रमाया मवाफिकत शर्त है, और चूंके मेरे और तुम्हारे माबैन मुनासिबत नहीं, इस लिए में उस महफ़िल में शरीक नहीं होता।

वफ़ात

आप ने 698/ हिजरी में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक दिल्ली में फरोज़ शाह कोटला के पीछे पार्क से सामने ही मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • रहनुमाए माज़राते दिल्ली
  • औलियाए दिल्ली की दरगाहें
  • अख़बारूल आखिर

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