बैअतो खिलाफत
हज़रत ख्वाजा शैख़ मखदूम हैदर देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के दोस्त और आप के खुलफाए किराम में से थे, अज़मत वाले और बड़ी शान वाले बुज़रुग थे, आप को गोशा नशिनी पसंद थी, लोगों में बैठने से तकलीफ होती थी, इतने अज़ीम मर्तबे के बावजूद आप ने सादा ज़िन्दगी और गुमनामी की ज़िन्दगी बसर फ़रमाई, अपने आप को आम लोगों की तरह पेश करते, और उन्ही के आम लिबास में रहते थे, सारी ज़िन्दगी फ़क्ऱो फाका में गुज़ारी, आप के मुरीदीन की काफी तादाद थी, हज़रत शैख़ इल्मुद्दीन! आप ही के खुलफ़ा में से थे।
वफ़ात
हज़रत ख्वाजा शैख़ मखदूम हैदर देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने 759/ हिजरी मुताबिक 1357/ ईसवी में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ लाडो सराए से जो सड़क खानपुर को जा रही है लाल बत्ती से आगे बाएं हाथ को गुंबद में आप का मज़ार शरीफ मरजए खलाइक है,
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
औलियाए दिल्ली की दरगाहें
रहनुमाए माज़राते दिल्ली