हज़रत ख्वाजा शैख़ शाह गुलशन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ शाह गुलशन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

आप का इस्मे गिरामी शैख़ सअदुल्लाह गुलशन! देहलवी है, आप हज़रत शैख़ अब्दुल अहद सरहिंदी अल्मारुफ़ शाह गुल वहदत, के मुरीदो खलीफा हैं, अपने पीरो मुर्शिद के उर्फ़ शाह गुल की मुनासिबत से अपना तखल्लुस गुलशन रखा, निस्बत की एहतिराम की वजह से आप नाम के बा निस्बत तखल्लुस से ज़ियादा मशहूर हुए, आप एक अज़ीम शायर थे और अक्सर शायरों के उस्ताज़ भी थे, आप बहुत उम्दह अशआर कहते थे।

हज़रत ख्वाजा शैख़ शाह गुलशन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! का असली वतन बुरहानपुर था मगर बाद में दिल्ली में मुस्तकिल सुकूनत इख़्तियार करली थी, आप हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के हम ज़माना थे, हज़रत शाह वलियुल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी किताब “अनफ़ासल आरफीन” में आप का तज़किरा किया है,

मुजाहिदा

हज़रत ख्वाजा शैख़ शाह गुलशन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! एक तारिकुद दुनिया बुज़रुग थे, दिल्ली की जामा मस्जिद में रहा करते थे, कई कई दिन के बाद खाना खाते थे और मस्जिद के होज़ का गरम पानी पीते थे, आप की अक्सर ग़िज़ा ख़रबूज़ा, तरबूज़ वगेरा सब्ज़ियों के छिलके होते थे जो बाज़ार से जामा करा लेते और उनको धोकर इस्तेमाल करते थे, आप ने अल्लाह पाक की राह में इबादतों रियाज़त मुजाहिदात किए थे, सेरो सियाहत के सिलसिले में एक अरसा अहमदबाद गुजरात में भी आप रहे थे,

करामत

एक दफा आप मस्जिद में बैठे हुए थे, साथ में आप के मोतक़िदीन भी थे, एक रक्कासा (नाचने वाली) बनाओ सिंगार कर के मस्जिद के सामने से गुज़री, हाज़रीन ने अर्ज़ किया के आप तवज्जुह फरमाएं के ये नेक हो जाए, आप ने कुछ गोरो फ़िक्र किया हाज़रीन ने फिर अर्ज़ किया तो आप ने उसपर बातनी तवज्जुह डाली, थोड़ी देर के बाद वो रक्कासा सर के बालों को पकड़े और कमली पहने हुए रोती पीटती और तौबा अस्तग़फ़ार करती हुई आप की खिदमत में हाज़िर हुई और आप की मुरीद हो गई,

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा शैख़ शाह गुलशन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! बादशाह मुहम्मद शाह के दौरे हुकूमत में 1153/ हिजरी मुताबिक 1726/ ईसवी में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ कनाट सर्कस, नियर बिरिटिश इंडियन प्रेस, प्लाज़ा सिनिमा के पीछे दिल्ली 1/ में एक गोल चबूतरे पर मरजए खलाइक है, जिस पर ग़ासिबाना कब्ज़ा भी कर रखा है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

औलियाए दिल्ली की दरगाहें
रहनुमाए माज़राते दिल्ली

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