हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह! आप उरवतुल वुसका हज़रत ख्वाजा मुहम्मद मासूम नक्शबंदी मुजद्दिदी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह के फ़रज़न्द हज़रत ख्वाजा शैख़ मुहम्मद सिद्दीक रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदों खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह! अपने पीरो मुर्शिद से बे पनाह अक़ीदतो मुहब्बत करते थे, एक मर्तबा आप ने अपने मुर्शिद की खानकाह में सर से पानी भरा जिस की वजह से आप के सर के बाल घिस गए थे, एक मरता आप के मुर्शिद ने आप को किसी काम के लिए अहमदाबाद गुजरात भेज दिया था, आप अपने मुर्शिद के फिराक में इतना रूए के आँखों की बीनाई कमज़ोर हो गई थी,

करामत

मन्क़ूल है: के एक मर्तबा नवाब खान फ़िरोज़ जंग ने आप से अर्ज़ किया के हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा रहमतुल्लाह अलैह जिस को चाहते थे, उस को हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम की ज़ियारत करा देते थे, आप का ये मुरीद भी इस नेमते उज़्मा का उम्मीद वार है, आप ने इरशाद फ़रमाया के रात को सोने से पहले अल्हम्दु शरीफ की तिलावत कर के हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में सवाब का तोहफा पेश करना, चुनांचे नवाब साहब ने ऐसा ही किया, इनका नसीबा जाग गया, और आप के फैज़ से वो हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम की ज़ियारते मुक़द्दसा से मुशर्रफ हो गए, सुबह को इरादा किया के पाँच सो रूपये मुर्शिद की बारगाह में नज़र करूँगा, फिर ख्याल आया के अगर आज भी ज़ियारत नसीब हो जाए तो दोनों दिनों का नज़राना 1000/ पेश करूंगा, चुनांचे पीर का फैज़ और उनका मुकद्दर और सरकारे आली वकार हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम का करम फरमाना, दूसरी रात भी हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम ने अपने इस उम्मती को अपने दीदारे पुर अनवार से मुशर्रफ फ़रमाया, मगर सुबह को नवाब साहब पांच सो रुपये लेकर मुर्शिद की बारगाह में गए तो आप ने फ़रमाया के ये तो एक दिन की नज़र है, दूसरे दिन की नहीं लाए,

हज़रत शाह अबुल हसन ज़ैद नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के मज़ार शरीफ के एहाते की दीवारों में रेल की लाइन की वजह से शिगाफ़ पड़ गए थे, और खतरनाक हालत में था, वालिद मुकर्रम हज़रत अबुल खेर शाह रहमतुल्लाह अलैह ने नीचे मज़ीद पाए खड़े कर के डांटें लगवाईं और तह खाने को महफूज़ कर दिया, मरम्मत के बाद जब आप मज़ार शरीफ पर हाज़िर हुए, तो बा ज़रिए कश्फ़ आप को मालूम हुआ और हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह! ने आप से फ़रमाया: तुम ने मेरी झोंपड़ी को सवारा अल्लाह पाक तुम को और तुम्हारे घर को सवारे।

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा शैख़ हाफ़िज़ सअदुल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह! ने 21/ शव्वालुल मुकर्रम 1152/ हिजरी को मुहम्मद शाह के दौरे हुकूमत में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ अजमेरी गेट के सामने ऍंगलोर्बिक स्कूल के पीछे है, नई दिल्ली 7/ ही में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

औलियाए दिल्ली की दरगाहें
रहनुमाए माज़राते दिल्ली

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