इस्मे गिरामी
आप के वालिद माजिद का नाम शैख़ हसन बिन ताहिर अब्बासी हनफ़ी है, आप की पैदाइश जौनपुर में हुई थी, आप के बाज़ मुरीद आप को “शाहे ख़याली” भी कहते हैं,
तालीमों तरबियत
हज़रत ख्वाजा शैख़ मुहम्मद हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने इब्तिदाई तालीम जौनपुर ही में हासिल की, फिर आला तालीम हासिल करने के लिए दिल्ली तशरीफ़ लाए और बहुत से इल्म वालों से फैज़ हासिल किया, एक अरसा तक आप सिलसिलए कादिरिया के अज़ीम बुज़रुग हज़रत सय्यदना शैख़ इब्राहीम बिन मोईन हुसैनी ईयरजी की खिदमत बाबरकत में रह कर फ़ैज़ो बरकात हासिल करते रहे,
हज्जो ज़ियारत
आप ने सालहा साल मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्लाहु शरफउं व तअज़ीमा में रह कर हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम के रोज़े मुबारक की मुजावरी की, जब हज़रत शैख़ अब्दुल वहाब हुसैनी बुखारी रहमतुल्लाह अलैह दूसरी मर्तबा हज को तशरीफ़ ले गए तो इन को भी अपने साथ वतन वापस लाए, दिल्ली में क़याम किया और जो कुछ बुज़ुर्गाने दीन से फैज़ हासिल किया था उसे अल्लाह पाक की मखलूक में फैलाने के लिए मसरूफ हो गए, मशहूर बुज़रुग हज़रत शैख़ अब्दुर्रज़्ज़ाक़ कादरी झनझानवी रहमतुल्लाह अलैह, और हज़रत शैख़ अब्दुल मलिक बिन अब्दुल गफूर पानीपती रहमतुल्लाह अलैह, और मुजद्दिदे वक़्क़त हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी कादरी रहमतुल्लाह अलैह के मंझले चचा हज़रत शैख़ फ़ज़्लुल्लाह उर्फ़ शैख़ मंझू मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी कादरी रहमतुल्लाह अलैह, आप ही के मुरीद थे,
इबादतों रियाज़त
हज़रत ख्वाजा शैख़ मुहम्मद हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! अपने वक़्त के बड़े आरिफ, और आली मशरब रखते थे, नमाज़े अस्र के बाद रात का इस तरह इन्तिज़ार करते थे जैसे कोई अपने महबूब का इन्तिज़ार करता है, रात होते ही, कमरे में पहुंच जाते, दरवाज़ा अंदर से बंद कर के चिराग जलाते और ज़िक्रे इलाही में मसरूफ हो जाते, जब आप कमरे से बाहर आते तो सब लोग आप को देख कर अल्लाहु अकबर कहते थे, इल्म व हाल और ज़ाहिरी व बातनि ओसाफ से मुत्तसिफ़ थे, वालिद मुकर्रम के मसलक के लिहाज़ से चिश्ती थे लेकिन सिलसिलए कादिरिया से ज़ियादा निस्बत रखते थे,
विसाल
आप रहमतुल्लाह अलैह ने बादशाह हुमायूं के दौरे हुकूमत में 994/ हिजरी को विसाल हुआ।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ जयमंडल, बेगमपुर में मरजए खलाइक है, जिस को सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने तामीर कराया था और अक्सर औलादों की कब्रें भी यहीं मौजूद हैं।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली