हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

मख़्दूमे जहाँ हज़रत शरफुद्दीन याहया मनेरी के दादा पीर

हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह आप मख़्दूमे जहाँ हज़रत शरफुद्दीन याहया मनेरी रहमतुल्लाह अलैह के दादा पीर हैं।

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत मखदूम शैख़ नजीबुद्दीन फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह दोनों एक दूसरे के अलाती भाई हैं, इन के वालिद मुकर्रम का इस्मे गिरामी हज़रत शैख़ इमादुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह।

सिलसिलए फिरदोसिया के सब से पहले बुज़रुग

हज़रत ख्वाजा बदरुद्दीन समरकंदी फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह “सिलसिलए आलिया फिरदोसिया! के सब से पहले बुज़रुग हैं” जो हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए, सिलसिलए आलिया फिरदोसिया! दरसअल सिलसिलए सोहरवर्दिया! ही की शाख है, शैख़े कामिल हज़रत ख्वाजा शैख़ नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाह अलैह, जिन्हें वली तराश! और सेह सर तराश! के नाम व लक़ब से भी याद किया जाता है, और आप मुरीदो खलीफा! है आरिफो आमिल, क़ुत्बुल आरफीन, मम्बए हकीकत, हज़रत ख्वाजा अब्दुल काहिर अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह, से, हज़रत ख्वाजा अब्दुल काहिर अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत ख्वाजा नजमुद्दीन कुबरा रहमतुल्लाह अलैह, वली तराश! रहमतुल्लाह अलैह को खिलाफत देते वक़्त फ़रमाया था, “शुमा मशाइखे फिरदोस हस्तेद” उसी वक़्त से सिलसिलए फिरदोसिया की इब्तिदा शुरू हुई, जनाब हज़रत शाह अमीन फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी किताब “गुले फिरदोस” में लिखा है के हज़रत ख्वाजा बदरुद्दीन समरकंदी फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह ने अपने मुरीदो खलीफा हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! को भी फिरदोसी! का लक़ब बख्शा अता फ़रमाया था, हिंदुस्तान में जितने लोग सिलसिलए आलिया फिरदोसिया के हैं, उनका सिलसिला आप तक पहुँचता है,

मुख़्तसर ये के हज़रत ख्वाजा अब्दुल काहिर अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह, के खलीफा! हज़रत ख्वाजा शैख़ नजमुद्दीन कुबरा वली तराश रहमतुल्लाह अलैह, से सिलसिलए फिरदोसिया की इब्तिदा हुई, हज़रत ख्वाजा बदरुद्दीन समरकंदी फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह पहली बार इस सिलसिले को हिंदुस्तान लाए, हज़रत ख्वाजा शैख़ रुकनुद्दीन फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने दिल्ली में इस सिलसिले की बुनियाद रखी अपने पीराने तरीकत के शजरे का सिलसिला जारी किया, और मशाइखे फिरदोसी के नाम से मशहूर हुए, मख़्दूमे जहाँ हज़रत शरफुद्दीन याहया मनेरी रहमतुल्लाह अलैह मलिकुल उश्शाक़ हज़रत मौलाना शैख़ मुज़फ्फर बल्खी फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह और हज़रत मखदूम शैख़ ज़की फिरदोसी रहमतुल्लाह अलैह ने इस सिलसिले को मेराजे कमाल तक पहुंचाया, इस सिलसिले से बिहारो बंगगाल की ख़ाक पाक हुई और सिंद्ध व पंजाब में भी इस की शाखें फैली।

बैअतो खिलाफत

आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा बदरुद्दीन समरकंदी फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, से, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा शैख़ नजमुद्दीन कुबरा वली तराश! रहमतुल्लाह अलैह, से, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा अब्दुल काहिर अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह से,

एक दूसरी रिवायत इस तरह भी बयान की जाती है, के आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा बदरुद्दीन समरकंदी फिरदोसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, से, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा सैफुद्दीन बाखर्ज़ी रहमतुल्लाह अलैह, से, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा शैख़ नजमुद्दीन कुबरा वली तराश! रहमतुल्लाह अलैह, से, और आप मुरीदो खलीफा हैं, हज़रत ख्वाजा अब्दुल काहिर अबू नजीब सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह से।

वफ़ात

आप ने सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक के दौरे हुकूमत में 727/ हिजरी में वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक दिल्ली में किलोखड़ी गाँव, माहरानी बाग़, सन लाइट, कालोनि में सिद्धार्थ एक्सटेंशन गुरुदुवारे के पास में ही मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

  • रहनुमाए माज़राते दिल्ली
  • औलियाए दिल्ली की दरगाहें
  • अख़बारूल आखिर
  • मिरातुल असरार

Share this post