हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

आप हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के सागे भांजे और आप ही के मुरीदो खलीफा थे, आप की वालिदा माजिदा से मुलाकात करने के लिए हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह यूपी जाया करते थे लेकिन जब इनका इन्तिकाल हो गया तो फिर आप अपने भांजों यानि हज़रत अल्लामा कमालुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह और हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह को अपने साथ दिल्ली ले आए थे,

हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के ज़ेरे सायाए तरबियत पाई थी, आप ही ने हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से इन की वफ़ात के एक दिन पहले अर्ज़ किया किया था, “मखदूम” आप के बहुत से मुरीद साहिबे हाल और अहले कमाल हैं, इन में से किसी एक के लिए इशारा हो जाए तो आप की जगह पर बैठ जाए, तो आप की जगह पर बैठ जाए कहीं ऐसा ना हो के सिलसिला बिलकुल ही ख़त्म हो जाए, तो हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने इन से फ़रमाया था जिन को तुम अहिल समझते हो उनके नाम लिख लाओ, हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने तीन फहरिस्त तय्यार कीं, आला, औसत, और अदना, और इनको मुर्शिद की बारगाह में पेश किया, आप ने इन फरिश्तों को देखने के बाद इरशाद फ़रमाया था, हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! इन लोगों से कहदो अपने ही ईमान की फ़िक्र करें, दूसरों का बोझ सरपर लेने से किया फाइदा हासिल हो गया।

वफ़ात

आप ने 828/ हिजरी में वफ़ात पाई,

मज़ार शरीफ

हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ैनुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह का मज़ार मुबारक चिराग दिल्ली गाऊं, में दरगाह हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार पाक के कदमो के सामने है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें

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