हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ियाउद्दीन रूमी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ियाउद्दीन रूमी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ियाउद्दीन रूमी सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह आप शैखुल मशाइख हज़रत शैख़ शाहबुद्दीन उमर सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह के खलीफा हैं, आप अपने वक़्त के तमाम मशाइख़ीन में एक ख़ास आला मकाम रखते थे, सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते थे, के में ने हज़रत ख्वाजा शैख़ ज़ियाउद्दीन रूमी सोहरवर्दी रहमतुल्लाह अलैह से सुना है के इन को सिमा कव्वाली से काफी दिल चस्पी थी, वो इस में डूब जाता था, उस के इन्तिकाल के बाद उन्होंने ख्वाब में देखा के वो जन्नत के एक आली शान महिल में उदास बैठा है, उन्होंने जन्नत में जगह पाने की मुबारक बाद दी, और पूछा के इतने खूबसूरत और आली शान महिल में ग़मगीन क्यों बैठे हो? उसने जवाब दिया के सब कुछ तो हासिल कर लिया लेकिन सिमा का लुत्फ़ यहाँ हासिल नहीं हो सका, आप अपने दौर के मश्हूरो मारूफ सूफी बुज़रुग थे,

सुल्तान कुतबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी आप का मुरीद था, सुल्तान कुतबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी ने जब सरकार महबूबे इलाही पर मुख्तलिफ किस्म की पाबंदिया लगा कर इनको परेशान करना, शुरू किया, तो सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह, ने आप को एक खत लिखा के अपने मुरीद सुल्तान को समझाएं के वो फकीरों को परेशान ना करे, लेकिन इस खत को पढ़ने से पहले ही आप का इन्तिकाल हो चुका था, आप के जनाज़े में हज़रत सरकार महबूबे इलाही रहमतुल्लाह अलैह भी शरीक हुए, तो देखा के सुल्तान कुतबुद्दीन मुबारक खिलजी भी वहाँ मौजूद है, उस ने सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को दिखा कर अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया, यहाँ तक के आप के सलाम का जवाब भी नहीं दिया।

वफ़ात

आप का विसाल 721/ हिजरी मुताबिक 1321/ ईसवी में हुआ। में वफ़ात पाई।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक 1260/ मेडिकल महरोली रोड, कालो सराए बेगमपुर दिल्ली में मरजए खलाइक है।

मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें

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