हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह आप हज़रत शैख़ ईसा जौनपुरी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदो खलीफा हैं, आप अपने ज़माने के बहुत मशहूर बुज़रुग थे, आप दुरवेशों को मुखातिब करना अपना फ़रीज़ा समझते थे, आप ने बहुत सफर किया जिससे आप को शुहरत और तजुर्बा हासिल हुआ, हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के पास वो तालीम और खासियत थी जिस की बुनियाद पर वो मुस्तकबिल में आपने वाले वाक़ियात को बता देते थे, जिससे लोग हैरान रह जाते थे, आप कुरआन शरीफ की तालीम देने में मशहूर थे, एक दफा ख्वाब में हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम के सामने कुरआन शरीफ पढ़ा था, हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने मस्जिदे अक्सा में ऐतिकाफ किया था, हज़रत ख्वाजा शैख़ अब्दुल कुद्दूस गंगोही रहमतुल्लाह अलैह ने आप से ही कुरआन की तालीम हासिल की, और बरसों तक इन की खानकाह में रहे और यहीं से तालीमों तरबियत हासिल की,

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा शैख़ सुलेमान चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप का विसाल 14/ मुहर्रम 944/ हिजरी मुताबिक 1537/ ईसवी में मुग़ल बादशाह हुमायूँ के दौरे हुकूमत में हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ मौजूदा वक़्त में महरोली शरीफ में, ज़फर महिल के मगरिब में तकरीबन 100, मीटर आगे नंदू फल वाले का मकान है, ठीक उस के सामने वाके है, जो पूरी तरह रहने में इस्तेमाल की जा रही है,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहे

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