हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती कादरी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती कादरी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

आप का इस्मे गिरामी, “सय्यद जलालुद्दीन” और लक़ब “मखदूम जहानियां” है, हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जय्यद आलिमे दीन और शैख़े वक़्त थे! हज़रत शैखुल इस्लाम शैख़ रुकनुद्दीन अबुल फतह कुरैशी रहमतुल्लाह अलैह से मुरीद थे, और हज़रत ख्वाजा नसीरुद्दीन महमूद रोशन चिराग देहलवी रहमतुल्लाह अलैह से खिलाफ़तो इजाज़त हासिल थी, मक्का मुअज़्ज़मा में हज़रत इमाम याफ़ई अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह से काफी अच्छे तअल्लुक़ात रिश्तेदारी थी, अपने मलफ़ूज़ात “ख़ज़ानए जवाहिरे जलालिया! में जगह जगह पर हज़रत इमाम याफ़ई अब्दुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह का बयान किया है, आप सेरो सियाहत और बुज़ुर्गाने दीन से रिश्ता बनाने में खास दिलचस्पी रखते थे, जिस किसी बुज़रुग से राब्ते तअल्लुक़ में आते, उसकी तमाम ख़ुसुसियात को हासिल करते थे, ये आप की सब से बड़ी खासियत थी।

तारीखे मुहम्मदी! में तहरीर है के आप ने सब से पहले अपने चचा हज़रत शैख़ सदरुद्दीन बुखारी रहमतुल्लाह अलैह से खिरकाए खिलाफत हासिल किया, इन के बाद मक्का शरीफ के शैखुल इस्लाम इमामुल मुहद्दिसीन हज़रत शैख़ अफीफुद्दीन अब्दुल्लाह मितरी रहमतुल्लाह अलैह से खिरकाए खिलाफत हासिल किया और दो साल तक आप की खिदमत में रहे, इन्होने हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! से राहे सुलूको मार्फ़त की मंज़िलें तय की कुछ किताबें पढ़ीं साथ ही साथ तालीमों तरबियत और ज़िक्रे इलाही का तरीका भी इन्ही से सुना सीखा, यहाँ से वापस होने के बाद हज़रत सय्यद रुकनुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह से खिरकाए खिलाफत हासिल किया,

आप के मलफ़ूज़ात के मुताले से पता चलता है के आप कादरी सिलसिले से निहायत मुहब्बतों अकीदत रखते थे, एक जगह पर इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रहमतुल्लाह अलैह के बयान को नक़ल करते हुए लिखा है, के ये अच्छा पैगाम है इस के लिए जिसने मुझे देखा और अच्छा पैगाम है इस के लिए उसने जिस ने मेरे देखने वालों को देखा, इस बयान के बाद आप आगे लिखते हैं के इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रहमतुल्लाह अलैह आपने ज़माने के कुतब और सच्चे अल्हे हक थे, इस लिए मुझ पर अल्लाह पाक का करम होगा,
बयान किया जाता है के एक दिन जिस मक़ाम पर हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! बैठे थे, वहां आग लग गई, आप ने मुठ्ठी भर की मिटटी उठाई और इमामुल औलिया शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी गौसे आज़म बगदादी रहमतुल्लाह अलैह का नाम ऊंची आवाज़ में लेकर आग में फेंक दिया आग उसी वक़्त बुझ गई,

वफ़ात

हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद जलालुद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने 10/ ज़िलहिज्जा 785/ हिजरी मुताबिक 1383/ ईसवी को वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ मदनगीर रोड पर शैख़ सराए फेज़ 2, के सामने जहाँ पनाह सिटी फॉरेस्ट में वाके मरजए मरजए खलाइक है, शैख़ सराए चिराग दिल्ली के बराबर ही में है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
दिल्ली के 32/ ख्वाजा

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