हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान कादरी बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

विलादत शरीफ

नबीरए उस्ताज़े ज़मन, बिरादरे अमीने शरीअत, व सदरुल, नूर दिदाए हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द, आलिमे बा अमल हुज़ूर ताजुल असफिया हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु जमादीयुल ऊला 1352/ हिजरी मुताबिक 7/ अगस्त 1933/ ईसवी को मुहल्लाह कांकर टोला पुराना शहर बरैली शरीफ में पैदा हुए।

नसब नामा

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! बिन, हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान बिन, हज़रत उस्ताज़े ज़मन अल्लामा हसन रज़ा खान बिन, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नकी अली खान बिन, अल्लामा रज़ा अली खान बिन, हाफ़िज़ काज़िम अली खान बिन, मुहम्मद आज़म खान बिन, सआदत यार खान बिन, शुजाअत जंग मुहम्मद सईदुल्ल्ह खान रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

वालिद माजिद

आप के वालिद मुहतरम का नाम मुबारक हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! जो मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! के शागिर्द, खलीफा, दामाद, और भतीजे थे।

हुलिया मुबारक

पक्का रंग, घनी दाढ़ी कुछ सफ़ेद, कद दरमियाना, आँखों पर कभी कभी ऐनक, मुस्कुराता चेहरा जिस पर मुरव्वत व शराफत का गाज़ा नुमाया, काली दार कुरता, बड़ी मुहरी का अली गाढ़ी, का पाजामा, दो पल्ली टोपी, कभी कभी शेरवानी भी ज़ेबेतन करते, आप की शख्सीयत में मुकम्मल तौर पर बुज़ुर्गाने दीन की कशिश पाई जाती थी।

खानदानी हालात

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के वालिद माजिद हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह, सरकार आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु के हकीकी भतीजे और शागिर्द व खलीफा थे, और कई किताबों के मुसन्निफ़ थे, जिन में से बाज़ ज़ेवरे तबअ से आरास्ता हो चुकी हैं,
हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह, हम उमर थे, दोनों की तालीम भी साथ साथ हुई, और दोनों में बिरादराना दोस्ताना तअल्लुक़ात थे, दोनों एक दूसरे से निहायत मुहब्बत के साथ मिलते, ऐसी मुहब्बत के जिस की नज़ीर इस ज़माने में, हकीकी भाइयों में नहीं मिलती, हम उमर होने के बावजूद, दोनों एक दूसरे का एहतिराम करते, जिस को देखने वाले हैरत करते थे, हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के नाना जान जनाब अब्दुल गनी खान! सब इंस्पैक्टर पोलिस बदायूं थे, जो मुहकमा डिपार्टमैनेट पोलिस की मुलाज़िमत के बावजूद पाबंदे शरआ थे, एहतियात का ये आलम था, के जिस किसी के यहाँ तफ्तीश के लिए जाते, उस के यहाँ का पानी भी पीना गवारा ना फरमाते।

तालीमों तरबियत

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! ने इब्तिदाई तालीम, घर पर वालीदह माजिदह और वालिद मुहतरम से हासिल की, फ़ारसी तालीम के लिए “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” बरैली में दाखिला लिया और अरबी फ़ारसी की आला किताबें पढ़ीं, सुलूक और तसव्वुफ़ में वालिद माजिद से इक्तिसाबे फैज़ किया, वक्तन फवक्तन हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की खिदमत में हाज़िर हो कर इल्मे ज़ाहिरी व बातनि से मालामाल हुए, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के विसाल तक इन्ही की खिदमत में रहकर, नूरी इल्मे नूरी ज़ुहदो तक्वा से सरशार होते रहे, “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” से दस्तार बंदी फरागत हुई।

असातिज़ाए किराम

  1. हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह!
  2. हकीमुल उलमा हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान रज़वी बरैली
  3. सदरुल उलमा हज़रत अल्लामा गुलाम जिलानी रज़वी आज़मी
  4. मज़हरे मुफ्तिए आज़म हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान बरेलवी
  5. हाफ़िज़ इनामुल्लाह रज़वी, साबिक मुदर्रिस “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम”
  6. हज़रत मौलाना सय्यद अहमद आली रामपुरी
  7. हज़रत अल्लामा व मौलाना गुलाम यासीन पुर्नवि रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।

आप की दीनी खिदमात

हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! निहायत सादगी पसंद, खुश अख़लाक़, कम गो और फकीह हैं, बाज़ाब्ता तौर पर किसी मदरसे में दरसो तदरीस का मौका नहीं मिला, बादे फरागत आप हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के दौलत कदे पर रहते और आए हुए मुल्क और बैरूने मुल्क के फतावे! और खुतूत के जवाब इनायत फरमाते, नीज़ हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के अक्सर फतावा की नकल भी आप के ज़िम्मे थी, इस नकले इफ्ता ने “हज़रत मौलाना हबीब रज़ा” को एक माहिर जुज़ियात और मुताबहिर आलिमे दीन बना दिया, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की सुह्बते कीमिया असर ने वो गुल खिलाए, जो किसी शैख़े कामिल की बारगाह में, बरसाहा बर्स रहने से भी नहीं मिल सकता था, हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! ने 1978/ इस्वी में फतवा नवेसी का आगाज़ किया, और इस्लाह हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! से लेते थे,
हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के विसाल के बाद, जानशीने मुफ्तिए आज़म हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा अज़हरी कादरी रदियल्लाहु अन्हु ने मरकज़ी दारुल इफ्ता! की बुनियाद रखी, इस में खुद भी हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा अज़हरी कादरी रदियल्लाहु अन्हु तहरीर फरमाते, और हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! भी फतवा नवेसी की खिदमात अंजाम दे रहे हैं, और साथ ही साथ “इदारए सुन्नी दुनिया” के एहतिमामो इंतिज़ाम के फ़राइज़ अंजाम दे रहे हैं आप की सलाहियतों ने इस इदारे में चार चाँद लगा दिए।

इजाज़तो खिलाफत

हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! ने 25/ सफ़ारुल मुज़फ्फर 1965/ इस्वी को उर्से रज़वी! बरैली में हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! से बैअत मुरीद का शरफ़ हासिल किया, और 15, सफ़ारुल मुज़फ्फर 1396/ हिजरी को हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने इजाज़त व खिलाफत अता फ़रमाई।

हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द की मुहब्बत

हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के घर से हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! को जो तअल्लुक़ था, इस को देखने वाले आज भी बा कसरत मौजूद हैं, पुराना शहर बरैली मुसलमानो की एक बहुत बड़ी बस्ती है, जो कई मुहल्लों में फैली हुई है, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! इस पूरी बस्ती में कहीं भी तशरीफ़ लाते तो हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! के घर ज़रूर तशरीफ़ लाते, आप की शादी हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की नवासी से हुई, और ये भी खुश नसीबी के हज़रत के दौलत कदे से हुई, वो भी इस मुहब्बत का बय्यन सुबूत है, हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! हज़ारों में वो खुश नसीब शख्स हैं के हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने आप को अपना बेटा समझा और फ़रमाया करते थे के “अल्लाह पाक ने मुझे एक बेटा अता किया था, मगर वो हालते तिफ्ली ही में चला गया, अगर खुदा किसी शख्स को बेटा दे तो हबीब मियां! जैसा, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के ये कलमात आप से मुहब्बत का बय्यन सुबूत हैं।

अक़्द मस्नून निकाह

आप की शादी हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की इफ़्फ़त मआब, नेक व पारसा नवासी से हुई, और ये भी खुश नसीबी के हज़रत के दौलत कदे से हुई, ये आप से हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की मुहब्बत का बय्यन सुबूत है,
औलादे अमजाद: आप को अल्लाह पाक ने तीन शहज़ादे और तीन शहज़ादियों से नवाज़ा था, साहबज़ाद गान के नाम ये हैं:
(1) मुहम्मद मुजीब रज़ा खान
(2) मुहम्मद हसीब रज़ा खान
(3) मुहम्मद नजीब रज़ा खान

इन्तिकाल पुरमालाल

हज़रत मुफ़्ती मुहम्मद हबीब रज़ा खान कादरी बरकाती नूरी रहमतुल्लाह अलैह! 26, जमादीयुल ऊला 1435/ हिजरी मुताबिक 28, मार्च 2014/ इस्वी बरोज़ जुमा मुबारक इस दारे फानी से कूच कर गए, हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु ने नमाज़े जनाज़ा पढाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार मुबारक मोहल्ला कांकर टोला ज़िला बरैली शरीफ यूपी इंडिया में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

Share Zarur Karein – JazakAllah Khaira

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत
  • मौलाना हसनैन रज़ा खान बरेलवी हयात और खिदमात
  • मुफ्तिए आज़म हिन्द और उनके खुलफ़ा

Share this post