हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

आप सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद और इमाम हैं, आप आबिदो, ज़ाहिद, तकवाओ, तदय्युन और ज़ोको शोक के मक़ाम पर फ़ाइज़ थे, और इससे बढ़ कर और क्या शराफत बुज़ुरगी होगी, के सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह आप के पीछे नमाज़ पढ़ते थे, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह को हुक्म दिया था, के वो हज़रत ख्वाजा नूह अलैहिर रहमा को तालीम दें, और इस काम के लिए इन को छोटा हुजरा दिया था जो जमात खाना में था, इस लिए हज़रत मौलाना शैख़ शहाबुद्दीन इमाम देहलवी रहमतुल्लाह अलैह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीदों खादिमो में परवरिश पाते रहे,

इमामत

हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की बहुत दिनों से ये दिली तमन्ना थी के अगर वो एक मर्तबा भी सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की इमामत करलें, तो ये बात बाइसे फख्र होगी, इस लिए आप इस दौलत को हासिल करने के लिए हर किसी से कहते थे मगर ये खिदमत हज़रत ख्वाजा मुहम्मद बिन मौलाना इसहाक रहमतुल्लाह अलैहिमा के सुपुर्द थी, लिहाज़ा इस बारे में किसी को दखल देने की मजाल नहीं थी, अगर कोई इन के ना होने की वजह से नमाज़ पढ़ाता तो वो नाइब होने की हैसियत से पढ़ाता, इन के गैर मौजूदगी में इनके भाई हज़रत ख्वाजा मूसा नमाज़ पढ़ाते थे,

हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने हज़रत सय्यद मुबारक रहमतुल्लाह अलैह से मशवरा किया, हज़रत सय्यद मुबारक रहमतुल्लाह अलैह ने मशवरा दिया के आप हर वक़्त मौका की तलाश में रहे अगर किसी वक़्त हज़रत ख्वाजा मुहम्मद और हज़रत ख्वाजा मूसा गैर हाज़िर होंगें तो में इक़बाल खादिम से कहूंगा के आप को इमामत के लिए पेश करे,

इत्तिफाक से एक दिन हज़रत ख्वाजा मुहम्मद और हज़रत ख्वाजा मूसा दोनों गैर हाज़िर थे, इस मोके पर ख्वाजा इक़बाल ने इमामत के लिए हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! को भिजवाया, आप की आवाज़ बड़ी प्यारी थी के इन की आवाज़ सुनकर हवा में उड़ने वाले परिंदे और ज़मीन पर चलने वाले मदहोश हो जाते थे, हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने इमामत करते हुए कुरआन शरीफ इस खुश इल्हानी से पढ़ा के सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह पर रिक़्क़त तारी हो गई, जब हज़रत नमाज़ से फारिग हुए और मुसल्ला काँधे पर डाल कर अपने मक़ाम की तरफ रवाना हुए तो हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! सुल्तानुल मशाइख सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के कदमो में गिर गए,

हज़रत! ने झुक कर इनके सर को अपने कदमो से उठाया तो मुसल्ला आप के कांधे से गिर गया, चुनांचे हज़रत! ने इस मुसल्ले को हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! को अता फ़रमाया, उसी दौरान हज़रत मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह! अपने नाना शैख़े तरीकत हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह! की ज़ियारत के लिए पाकपटन चले गए और इन की जगह सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत मौलाना इमाम शैख़ शहाबुद्दीन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! को हज़रत मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह! की नियाबत में दौलते इमामत से मुशर्रफ फ़रमाया, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने आप को ये काम सौंपा था के वो मेरी गैरमौजूदगी में मेरे मुरीदों की निगरानी किया करे,

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ गल्फ किलब लाडो सराए महरोली शरीफ दिल्ली 30/ में था, लेकिन अफ़सोस के अब आप के मज़ार शरीफ का निशान ही बाकी रह गया है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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