हज़रत मौलाना जमाल रज़ा खान नूरी बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली

हज़रत मौलाना जमाल रज़ा खान नूरी बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली

विलादत शरीफ

नवासए मुफ्तिए आज़म हिन्द, जमाले मिल्लत, हज़रत मौलाना अताउर रहमान खान कादरी रज़वी नूरी उर्फ़ “मुहम्मद जमाल रज़ा खान कादरी” इब्ने, हज़रत मौलाना फज़लुर रहमान खान कादरी रज़वी नूरी इब्ने, हज़रत अब्दुर रहमान बरकाती नूरी 12/ रबीउन नूर शरीफ मुताबिक 24/ अगस्त 1961/ ईसवी बरोज़ जुमेरात काशानए नवासए मुफ्तिए आज़म हिन्द! मुहल्लाह सौदागिरान बरैली शरीफ में तवल्लुद हुए, अप की नानी मुहतरमा, हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की रिवायत है के अप की विलादत अप की बैअत का वाकिअ काबिले रश्क अप ही की ज़बान से नकल किया जा रहा है अप फरमाते हैं: जब मेरी उमर चार या पांच माह की हुई तो एक दिन मुझे वालिदाह मुहतरमा की गोद में देख कर हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने फ़रमाया:

“इस बच्चे को मेरे पास लाओ में इस को मुरीद करूंगा” जब हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने किसी के लिए ना फ़रमाया के में मुरीद करूंगा या मुझ से मुरीद हो जाओ, अल्हम्दुलिल्लाह! ये शरफ़ हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुरीद गुलामो में इस फ़कीर ही को हासिल है के हुज़ूर पुरनूर ने अपनी गुलामी में लेने को खुद पसंद फ़रमाया, मुरीद करने से क़ब्ल हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने करीब एक घंटा से ज़ियादा अपनी गोद में लिटाए रखा, और हज़रत ने अपने खादिम जनाब मंज़ूर भय्या से अपनी जेबे ख़ास का पैसा दे कर बदायूं के पेड़े क़ुतुब खाना बरैली में मौजूद दुकान से मंगवाए, फातिहा दी और अगुश्तें शहादत फ़कीर के मुँह में दे कर मुरीद फ़रमाया, (अल्हम्दुलिल्लाह) और ये के ख़ातिमुल अकाबिर हज़रत सय्यद शाह आले रसूल अहमदी मारहरवी रहमतुल्लाह अलैह ने मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! को मुरीद फरमाते और खिलाफत अता फरमाते वक़्त जो खिरका शरीफ अता फ़रमाया था, वो आला हज़रत रहमतुल्लाह अलैह ने हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! को अता फ़रमाया और हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के विसाल के बाद मख़्दूमा पीरानी अम्मा साहिबा अहलिया हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द! ने इस फ़कीर को अता फ़रमाया साथ ही मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! का एक पाजामा जो आला हज़रत की दीवार घड़ी जिससे आला हज़रत की करामत से पानी बरस जाने वाली वाबस्ता है, फ़कीर को अता फ़रमाई, हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खा बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! का काशानए फ़कीर की वालिदाह को ये कह कर अता फ़रमाया के, को ये मकान तुम्हें इस वजह से दे रही हूँ के तुम्हारा बेटा जमाल है, और हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! का आखरी खिरका (जुब्बा शरीफ) ये कह कर फ़कीर को मख़्दूमा ने अता फ़रमाया के “जब तुम तकरीर करने मिम्बर पर जाया करना तब इस जुब्बे को पहना करना” गोया के खिताबत का फन को मख़्दूमा पीरानी अम्मा की अता है,

इस के अलावा हुजूर अहसनुल उलमा हज़रत सय्यद शाह मुस्तफा हैदर हसन मियां बरकाती मारहरावी रहमतुल्लाह अलैह, और नवासए हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! उस्ताज़ुल उलमा ख़ालिदे मिल्लत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खालिद मियां नूरी रहमतुल्लाह अलैह से भी खिलाफ़तो इजाज़त हासिल है।

खिलाफत के हुसूल

फ़कीर को खानदाने बरकात में हुजूर अहसनुल उलमा सय्यद शाह मुस्तफा हैदर हसन मियां बरकाती मारहरावी रहमतुल्लाह अलैह ने खिलाफत उर्से कास्मि! के मोके पर मिम्बरे नूर पर अता फ़रमाई, जिस साल खिलाफत अता फ़रमाई, इससे चंद यौम क़ब्ल मेरी खाला हुज्जतुल इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती हामिद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की साहबज़ादी नूरी खाला ने मेरी पेशानी पर बोसा दे कर फ़रमाया आज में ने ख्वाब में देखा के हुजूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने तुम्हारे सर पर कत्थाई बिराऊन रंग की सफ़ेद इमामा बांधा और तुम्हारी पेशानी को बोसा दिया और सीने से लगाया,

जब हुजूर अहसनुल उलमा सय्यद शाह मुस्तफा हैदर हसन मियां बरकाती मारहरावी रहमतुल्लाह अलैह ने ने फ़कीर को खिलाफत से नवाज़ा,, तब हुजूर साहिबे सज्जादा खानकाहे बरकातिया अमीने मिल्लत को फ़रमाया के जमाल को इमामा बान्दो जब हज़रत हज़रत अमीने मिल्लत अमीन मियां ने इमामा फ़कीर के सर पर बांधा तो में अंगुश्त बदंदा रह गया और नूरी खाला का बयान किया हुआ ख्वाब याद आया, के इस इमामा का रंग कथ्थई बराऊँन था आज भी फ़कीर के पास वो तबर्रुक मौजूद है।

औलादे अमजाद

हज़रते आले रहमान रज़ा खान कादरी रज़वी आप के लाइक व फाइक फ़रज़न्दे अर्जमन्द हैं जो हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! और खानवादए रज़ा के इल्मी व रूहानी, दीनी व मिल्ली मिशन की तकमील के लिए हत्तल मकदूर सई बलीग़ फरमा रहे हैं, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आप की खिदमात को शरफ़े कबूल से नवाज़े, और ज़ियादा से ज़ियादा मसलके हज़रत की इशाअत का जज़्बा अता फरमाए।

दीनी व मिल्ली खिदमात

आप की परवरिश व परदाख्त खानवादए बरेली शरीफ की दीनी व इल्मी घराने के पाकीज़ह व इस्लामी माहौल में हुई, इस के खुशगवार असरात आप की ज़ात पर मुरत्तब होना लाज़मी था, यही वजह है के आप के अंदर हुब्बे रिसालत, खुलूसो लिल्लाहियत, शराफत व नजाबत, उलुलाज़मी उूलुल अज़मी बुलंद हिम्मती, कुशादा कलबी, रद्दे बज़्मज़हबियत तरवीजो इशाअत और मसलके आला हज़रत! की हिफाज़त व सियानत का जज़्बए अतम पाया जाता है, आज भी आप अपनी तकरीरों खिताबत और पंदो नसीहत के ज़रिए तब्लीग व इरशाद का फ़रीज़ा बहुस्ने खूबी अंजाम दे रहे हैं, और मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दिसे बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु! व हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की दीनी व फिकरी तहरीक और तदबीर फलाहो निजात को आम करने में मशगूल हैं, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आप की मुसलसल काविशों को कबूल फरमाए और आप का साया गुलामाने मुफ्तिए आज़म के सरों पर दराज़ फरमाए अमीन।

रेफरेन्स हवाला

  • तज़किराए खानदाने आला हज़रत

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