नाम व नसब
मुहम्मद कमर रज़ा खान बिन, मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द मुहम्मद इब्राहिम रज़ा खान बिन, हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद हामिद रज़ा खान बिन, मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा बिन, अल्लामा मुफ़्ती नकी अली खान बिन, अल्लामा रज़ा अली खान बिन, हाफ़िज़ काज़िम अली खान बिन, मुहम्मद आज़म खान बिन, सआदत यार खान बिन, शुजाअत जंग मुहम्मद सईदुल्ल्ह खान रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।
विलादत
गुले गुलज़ारे रज़वियत, नबीरए आला हज़रत, नवासए हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! की विलादत बसआदत 14/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1365/ हिजरी मुताबिक 14/ जुलाई 1946/ ईसवी को मुहल्लाह ख्वाजा क़ुतुब बरैली शरीफ में हुई।
वालिद माजिद
आप के वालिद मुहतरम का नाम “मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द इबराहीम रज़ा खान उर्फ़ जिलानी मियां” है।
तालीमों तरबियत
अस्लाफ किराम के मामूलात और खानदानी दस्तूर के मुताबिक चार साल चार माह चार दिन की उमर में आप की रस्मे बिस्मिल्लाह ख्वानी अदा कराइ गई, इस के बाद इब्तिदाई तालीम से वालिद मुहतरम मुफ़स्सिरे आज़म हिन्द ने अपनी ज़ेरे निगरानी में घर ही पर आरास्ता फ़रमाया, इस के बाद अरबी, फ़ारसी, और दीनियात की तालीम यादगारे आला हज़रत “दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम” में हासिल की, दीनी तालीम हासिल करने के बाद तकरीबन 1966/ में असरी तालीम के लिए “अली गढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी” तशरीफ़ ले गए।
बैअतो खिलाफत
शऊर की मंज़िल पर पहुचें तकरीबन 1960/ ईसवी में हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से मुरीद हुए 1984/ ईसवी में अहले सिलसिला के इसरार पर बैअत व इरशाद की तरफ माइल हुए, और मुहद्दिसे बरेलवी मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! ने सिलसिलए रज़विया के फरोग के लिए खिलाफ़तो इजाज़त से नवाज़ कर तावीज़ात की मश्क भी कराई।
अक़्द मस्नून “निकाह”
12/ जनवरी 1975/ ईसवी में हज़रत सिराज मियां की हमशीरा नवासी हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! से आप का निकाह हुआ।
मुलाज़िमत
इब्तिदा मुहल्लाह सौदागिरान से मुत्तसिल एक प्राइमरी स्कूल में बा हैसियत उर्दू टीचर तक़र्रुर हुआ, इस के बाद भीम ताल, नैनी ताल में तालीम दी, फिर अहले सुन्नत की किताबों को तबआ छापने के लिए ऑफसेट प्रेस लगाई।
औलादे अमजाद
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने आप को तीन साहबज़ादे और एक साहबज़ादी अता फ़रमाई,
- मुहम्मद उमर रज़ा खान
- मुहम्मद आमिर रज़ा खान
- मुहम्मद आसिम रज़ा खान
- एक साहबज़ादी जो चंदरपुर सूबा महराष्ट्र में सय्यद उमैर हसन साहब! से मंसूब हैं।
दीनी दावती तब्लीग अस्फार
अक़ाइदे अहले सुन्नत की नशरो इशाअत और मसलके आला हज़रत के फरोग के लिए आप ने मुल्क व बैरूने मुल्क 1984/ ईसवी से तादमे हयात श्रीलंका, हिंदुस्तान, पाकिस्तान, वगेरा सूबाई और मुल्की सतेह पर आप ने बेशुमार सफर और दौरे कर के सिलसिलए रज़विया को फरोग बख्शा चुनांचे आज आप के मुरीदों की तादाद लाखों में है, बल्के खानवादए रज़विया में हुज़ूर ताजुश्शरिया रदियल्लाहु अन्हु! के बाद सब से ज़ियादा अगर किसी के मुरीद की तादाद पाई जाती है, तो वो आप हज़रत मौलाना कमर रज़ा खान कादरी बरेलवी रदियल्लाहु अन्हु की ज़ाते बरकात है,
आप अरबी, फ़ारसी, उर्दू, हिंदी, और अँगरेज़ी, ज़बान के साथ साथ साइंस व रियाज़ी, तारीख हिस्टिरि वगेरा उलूम पर काफी दस्तरस क़ाबिलियत रखते थे, शम्शी तारिख से कमरी तारीख बिला तरद्दुद निकाल लिया करते थे।
विसाल
5/ शाबानुल मुअज़्ज़म 1433/ हिजरी मुताबिक 26/ जून 2012/ बरोज़ मंगलबा वक्त पांच बजे सुबह अपने मालिके हकीकी से जा मिले, आप की नमाज़े जनाज़ा 27/ जून बरोज़ बुद्ध बाद नमाज़े असर इस्लामिया इंटर कॉलिज मैदान में आप के बिरादरे अकबर हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान कादरी रदियल्लाहु अन्हु! ने पढाई।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार मुकद्द्स गुंबदे रज़ा में वालिद और वालिदा के बीच में ज़िला बरैली शरीफ यूपी इंडिया में ज़ियारत गाहे ख़ल्क़ है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
- तज़किराए खानदाने आला हज़रत