हज़रत शैख़ अड्डन सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

हज़रत शैख़ अड्डन सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी

नाम शरीफ

हज़रत शैख़ अड्डन सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप का असली नाम “ज़ैनुल आबिदीन” है, लेकिन आप शैख़ अड्डन देहलवी के नाम से ज़ियादा मशहूर हैं।

बैअतो खिलाफत

हज़रत शैख़ अड्डन सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के नाना मुहतरम हैं, और आप हज़रत मौलाना शैख़ ख्वाजा समाउद्दीन सोहरवर्दी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के मुरीदो खलीफा थे, आप के अंदर बेहद ख़ुशू ख़ुज़ू खाक सारी और अदब व तहज़ीब और वकारो दबदबा था, आप का ज़ाहिरो बातिन एक था, जिन आदाब से आप बाहर रहते वही तरीका घर में भी अपनाते थे, आप की ज़बान हमेशा ज़िक्रे इलाही में तर रहती थी, चेहराए मुबारक निहायत खूबसूरत था, ज़ुहदो वरा, तक्वा तदय्युन परहेज़गारी, के आसार पेशानी पर चमकते थे, अक्सरो बेश्तर रोज़ा से रहते थे, और खाने पीने में एहतियात फरमाते थे,
सुल्तान इब्राहीम लोधी ने आप से हुकूमत का उहदा कबूल करने की दरख्वास्त की मगर आप ने इंकार फरमा दिया और आप ने कनाअत के साथ गोशा नशीनी इख्तियार करली।

विसाल

आप ने बाबर के दौरे हुकूमत 934/ हिजरी मुताबिक 1527/ ईसवी को वफ़ात पाई।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ महरोली, दिल्ली 3/ में शम्शी तालाब के जानिब पश्चिम यानी हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार मुकद्द्स से पच्छिम की तरफ एक मैदान में था जिस पर पीपल का दरख्त खड़ा था, लेकिन अपने ही हाथों ख़त्म हो गया, अब वहां मकानात बने हुए हैं।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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