हज़रत ख्वाजा शैख़ अलाउद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ अलाउद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ अलाउद्दीन चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

आप के वालिद माजिद का नाम मुबारक हज़रत शैख़ नूरुद्दीन पाकपटनी रहमतुल्लाह अलैह है, जो शैख़े कामिल हज़रत बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की औलाद में से थे, आप अपने दौर में यकताए ज़माना, फिरिश्ता सिफ़त और बेहतर अख़लाक़ वाले बुज़रुग थे, फ़ितरी तौर पर मुहज़्ज़ब और मुअद्दब पैदा हुए थे, दुरवेशों सूफ़ियाए किराम के अख़लाक़ों कमालात आप की तबियत में दाखिल थे, हिल्म बुर्दबारी, और दरगुज़र करने की सिफ़ात आप में बदरजए अतम मौजूद थीं, नफ़्स परस्ती से आप हमेशा परहेज़ करते थे, आप अपने ज़माने में “फ़रीदे सानी” के लक़ब से मशहूर थे, आप को क़ुत्बुल अक्ताब हज़रत ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार काकी चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की रूहानियत से ख़ास लगाओ और रब्त था।

करामत

एक दिन एक फ़कीर ने आ कर आप से कहा के मेरे पास तिरयाक है, आप ने फ़रमाया के मेरे पास भी तिरयाक है, बाद में फ़रमाया के अच्छा इम्तिहान करें, चुनांचे एक चिड़िया को पकड़ कर उसके मुँह में ज़हर टपकाया जिससे चिड़िया मर गई, आप ने अपनी खानकाह से केक का एक टुकड़ा मंगवाया और उसको पानी में भिगोया और वो पानी जैसे ही उस चिड़िया के मुँह में डाला उसी वक़्त वो चिड़िया ज़िंदह हो गई।

वफ़ात

आप ने शेर शाह सूरी के दौरे हुकूमत में 948/ हिजरी में वफ़ात पाई।

मज़ार शरीफ

आप का मज़ार मुबारक शैख़ सराए फेस 1/ सावित्री नगर में मस्जिद के सामने है, जिस पर गुंबद बना हुआ है लाल पथ्थर से, और दरवाज़े पर शाही कतबा लगा हुआ है, मगर अफ़सोस इस में परचून की दुकान खुली हुई है, और इस के चरों तरफ मकान बन गए हैं और ज़ियारत भी नहीं करने देते ज़्यादातर बद अक़ीदह लोग हैं,

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए माज़राते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें
दिल्ली के 32/ ख्वाजा

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