बैअतो खिलाफत
हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! मुल्के उज़्बेकिस्तान के शहर बुखारा! से हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए, आप अपने वक़्त के मश्हूरो मारूफ सूफी बुज़रुग हैं, बादशाह अकबर! ने आप को बख्शी का उहदा भी दिया था, बादशाह अकबर के इन्तिकाल के बाद उस के जानशीन जहांगीर! ने भी आप को बहुत इज़्ज़तो एहतिराम बख्शा, पांच हज़ार सवार के साथ मुर्तज़ा खां के नाम से सरफ़राज़ कर के गुजरात और बाद में पंजाब का गवर्नर मुकर्रर किया, हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! ने अवामी खिदमत का काम अंजाम दिया, जगह जगह पर सराए कायम कराए, फरीदाबाद! नाम से शहर बसाया जो दिल्ली के बाजू में सूबा हरयाना में है, आप अहले सादाते किराम से हैं, आप के वालिद माजिद का इस्मे गिरामी हज़रत सय्यद अहमद बुखारी है, वालिद माजिद के हालात तफ्सील से नहीं मिलते अलबत्ता आप के भाई, सय्यद मुहम्मद बुखारी के हालात मिलते हैं, बादशा अकबर! को आप की वफादारी और अक्लो फ़हम पर बड़ा भरोसा था, और बादशा अकबर! आप की बहुत इज़्ज़त भी करता था, यहाँ तक के बादशाह ने आप को अमीरी का उहदा भी दिया था, हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! का मकान दिल्ली में लाल किले के करीब सलीम गढ़ के किला नुमा ईमारत में था, बादशाह अकबर और जहांगीर कई मर्तबा आप के मेहमान हुए, जहांगीर ने आप के कारनामो से खुश हो कर नवाब मुर्तज़ा खां का ख़िताब दे कर गुजरात का सूबा दार मुकर्रर किया।
आप के अज़ीम कारनामे
हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! के कारनामो का सिलसिला बड़ा वसी है, बड़े बड़े सूफ़ियाए किराम ने आप की तारीफ की है, इमामे रब्बानी मुजद्दिदे अल्फिसानी हज़रत शैख़ अहमद सरहिंदी रहिमहुल्लाह ने अपने खत में हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! की तामीर मस्जिद पर इस तरह दुआ फ़रमाई, “अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आप को ज़ियादा तौफीक अता फरमाए, मुख्लिसों दोस्तों और यारों की इस किस्म की बातें सुन कर बहुत ही ख़ुशी हासिल होती है, हज़रत शाह वलीउल्लाह मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! ने हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! की एक ज़ियाफ़त का ज़िक्र किया है जो उन्होंने किसी रिफाहे आम की ईमारत बनाने के सिलसिले में मुनअकिद की थी और जिस में शहर के सारे मशाइखे किराम को दावत दी थी,
आप की दादो दाहिश की दास्तान देख कर ख़याल होता है के शायद इस्लामी हिंदुस्तान की तारिख में इस पाए का सखी और आली हौसला कोई नहीं हुआ, जब आप दरबार को तशरीफ़ ले जाते थे, तो रास्ते में कुबा और कंबल और चादरें रास्ते के फकीरों में तकसीम फरमाते और अशर्फियों और रुपियों की रेज़गारी अपने हाथ से खैरात करते, एक दफा एक फ़कीर ने सात मर्तबा आ कर आप से खैरात ली, आठवीं बार फिर आया उस वक़्त हज़रत! ने उस के कान में कहा के सात दफा जो कुछ ले गए हो उसे छुपा कर रखना, कहीं दूसरे फ़कीर तुम से छीन ना लें,
हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! ने बेवाओं और अहले खानकाह और अरबाबे तवक्कुल व एहतियाज का सालाना मुकर्रर कर रखा था जो ख़्वाह हाज़िर हो या गैर हाज़िर इन्हें बाक़ायदा पहुँचता था, जो लोग इनकी मुलाज़िमत पर वफ़ात पा गए, थे, उन के बच्चो के लिए शैख़ ने मुनासिब माहाना मुकर्रर कर रखा था और उस्ताद रख कर इन की तरबियत का इंतिज़ाम भी किया था, इन के बच्चे हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! की गोद में इस तरह खेलते के गोया उन के अपने बच्चें हैं, गुजरात में आप ने सादाते किराम की फहरिस्त बना कर इन के बच्चों के लिए शादी के इख़राजात अपनी सरकार से मुकर्रर किए थे, आप ने कई मुसाफिर खाने और सराएँ तामीर कराएं, अहमदाबाद में एक मुहल्लाह तामीर कराया जो बुखारी मुहल्लाह कहलाता है मशहूर अहमदाबादी आलिमे दीन हज़रत शैख़ अल्लामा वजीहुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह! का रोज़ा मुबारक और मस्जिद भी आप ही की तामीर कराइ हुई है, दिल्ली के करीब फरीदाबाद और इस की इमारतें और तालाब आप की यादगार हैं,
सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार शरीफ पर हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! ने संदल का छप्पर बनवाया था और उस पर सीप की नक्काशी कराइ थी, लाहौर में भी एक मोहल्ला आप ने बनवाया था लेकिन अपने लिए कभी कोई मकान या हवेली तामीर नहीं कराइ, इस तरह क़याम करते के गोया कूच पर हैं, हर रोज़ एक हज़ार आदमियों को सरकार से खाना मिलता, पान सौ का खाना तो इन के घर पर भिजवाया जाता और पांच सौ के साथ हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! खुद बैठ कर खाना खाते, लोग कितना भी शोर मचाते लेकिन शैख़ की, पेशानी पर शिकन ना आई,
हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! को सूफ़ियाए किराम से बड़ी अक़ीदतों मुहब्बत थी, आप हज़रत ख्वाजा बाकी बिल्लाह नक्शबंदी रहमतुल्लाह अलैह और उनके सिलसिले वालों की कमाल की खिदमत अंजाम दी, खानकाहे आलिया के सारे इख़राजात अपने ज़िम्मे लिए और दुरवेशों और दूसरे मुताअल्लिक़ीन के लिए माकूल वज़ीफ़े मुकर्रर कर दिए ताके वो बे फ़िक्री से अल्लाह अल्लाह करें और रुश्दो हिदायत में मशग़ूलो मसरूफ हो जाएं।
वफ़ात
हज़रत ख्वाजा शैख़ सय्यद फरीद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह! ने जहांगीर के दौरे हुकूमत में 1025/ हिजरी मुताबिक 1615/ ईसवी में पठानकोठ में वफ़ात पाई।
मज़ार मुबारक
हस्बे वसीयत नाश (जनाज़े) को दिल्ली में ला कर बेगमपुर, मालवीय नगर, में सराए शाह जी में आप के बुज़ुरगों के कब्रिस्तान में दफ़न किया गया, आप के हुसने अकीदत और दस्ते करम ने बहुत से माज़राते मुक़द्दसा की शानो शौकत बड़ाई, लेकिन आप का मज़ार मुबारक निहायत ही खस्ता हालत में है, एक कब्रिस्तान में जिस की टूटी फूटी दीवारें गलाज़त के ढेर हैं इस के अंदर लोहे के एक मुख़्तसर कटहरे के अंदर संगे मरर की छोटी सी कब्र है, सिरहाने कद के बराबर संग्गे मरर का कतबा लगा हुआ है, बेगमपुर, मालवीय नगर, में सराए शाह जी में आप में आप का मज़ार मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें