बैअतो खिलाफत
हज़रत ख्वाजा हाफ़िज़ मुहम्मद मुहसिन नक्शबंदी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! मुजद्दिदे वक़्त हज़रत शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की औलाद में से थे, और उरवतुल वुसका हज़रत ख्वाजा शैख़ मुहम्मद मासूम नक्शबंदी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह से इरादत मुरीदी व खिलाफत हासिल थी, इब्तिदा में आप को उलूमे ज़ाहिरी में वो रुतबा आली बुलंद मकाम हासिल था के पूरे दिल्ली शहर में से कोई आलिम भी आप से बात नहीं कर सकता था, बाद में हिदायते रब्बानी की तवज्जुह से हज़रत ख्वाजा शैख़ मुहम्मद मासूम नक्शबंदी सरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में हाज़िर हुए, उलूमे बातनि से मुस्तफ़ीज़ व मुस्तफ़ीद हुए, और सिलसिलए मुजद्दिदीय में तकमील की, खिरकाए खिलाफत पहना और ज़ुहदो वरा, तक्वा तदय्युन परहेज़गारी, व रियाज़त में यकताए रोज़गार हुए।
आप कब्र में ज़िंदा हैं
हज़रत ख्वाजा सय्यद नूर मुहम्मद बदायूनी रहमतुल्लाह अलैह! फरमाते हैं के में हज़रत ख्वाजा हाफ़िज़ मुहम्मद मुहसिन देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! अपने मुर्शिद की कब्र पर जा कर मुराकिबा किया तो हालत बे खुदी में, में ने देखा के आप का बदन मुबारक और कफ़न सब ठीक हालत में है, मगर आप के पाऊं के तलवे पर मिटटी का निशान है, में ने इस का सबब पूछा तो फ़रमाया के आप को मालूम होना चाहिए के हमने एक बार बिला इजाज़त किसी का पथ्थर उठाकर वुज़ू की जगह रख लिया था, इरादा ये था के जब इस का मालिक आएगा तो हम पथ्थर उसके हवाले कर देंगें, एक बार इस पथ्थर पर पैर रखा था, इस अमल की नहूसत से मिटटी मेरे तलवों पर है,
नोट:
इससे मालूम हुआ के अल्लाह के नेक बन्दे सूफ़ियाए किराम अपनी अपनी कब्रों में ज़िंदा हैं और आने वाले ज़ाएरीन से बात भी करते है।
आप के खलीफा
आप के मुरीदो खलीफा हैं आरिफ़े कामिल हज़रत सय्यद नूर मुहम्मद बदायूनी नक्शबंदी सुम्मा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह।
वफ़ात
आप का विसाल शाह जहाँ के दौरे हुकूमत में 1147/ हिजरी में हुआ।
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार मुबारक दिल्ली में दरगाह हज़रत शैख़ अब्दुल हक मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के गुंबद के पास में ही मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
- रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
- ख़ज़ीनतुल असफिया