विलादत बसआदत
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! हुसैनी सादाते किराम में से हैं, आप की विलादत शरीफ मुल्के उज़्बेकिस्तान के मशहूर शहर बुखारा! में हुई, अफ़सोस की हमे आप की तारीखे विलादत बसआदत न मिल सकी,
इस्मे गिरामी
साहिबे कशफो करामात, अज़ीम सूफी, आफ़ताबे विलायत, शैख़े तरीकत, हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा कादरी ओवैसी देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप का नामे नामी इस्मे गिरामी “सय्यद हसन” है, और आप हसन रसूल नुमा! के नाम से ज़ियादा मश्हूरो मारूफ हैं, क्यों के आप हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ियारत से मुशर्रफ कराते थे,
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत मूसा काज़िम रदियल्लाहु अन्हु की औलादे पाक से हैं।
बैअतो खिलाफत
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! अपने वालिद माजिद के हमराह (साथ) मुल्के उज़्बेकिस्तान के शहर बुखारा! से हिंदुस्तान तशरीफ़ लाए और लखनऊ के करीब मोज़ा मोहान में क़याम फ़रमाया, फिर वहां से आगरा तशरीफ़ ला कर जामा मस्जिद के पास चिल्ला किया, फिर वहां से शहर नारनूल! जो के हरयाना में है यहाँ अपने चाचा जान हज़रत सय्यद ताजुद्दीन शेर सवार नारनूली चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की खिदमते बा बरकत में हाज़िर हुए और आप से फीयूज़ो बरकात हासिल की, आप के चाचा ने आप से काफी मुजाहिदे कराए और आप की तवज्जुह निगाहें करम से इस बुलंदो बाला मकाम को पहुंचे के हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मजलिस मुबारक में हाज़िर होने लगे और मजलिस मुबारक में हज़रते सय्यदना ओवैसे करनी रदियल्लाहु अन्हु की बैअत की, और तरीक़ए ओवैसिया के ज़रिए हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाहे आलिया से फैज़ हासिल करने लगे, इस के बाद आप ने हज़रत मूसा कादरी रहमतुल्लाह अलैह! की बैअत की और आप का मज़ार मुबारक शहर बुखारा में है।
आप की सीरतो ख़ासाइल
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! की खानकाहे आलिया में हर वक़्त दुरवेशों फकीरों और तालिबों का एक हुजूम रहता था जो कुछ नज़र तोहफे वगेरा आते उस को शाम तक खर्च फरमा दिया करते थे, तवक्कुल और क़नाअत का ये आलम था के कभी किसी साहिबे दौलत के दरवाज़े पर तशरीफ़ नहीं ले गए, और नाही किसी दौलत मंद की आमद को पसंद फ़रमाया अगर कोई साहिबे दुनिया आप की मजलिस में आजाता तो उससे वहशतनाक गुफ्तुगू कर के वसपस कर दिया करते थे,
तवाज़ो! इतने बुलंद मकाम पर फ़ाइज़ होने के बावजूद आप के अंदर तवाज़ो इंकिसारी बहुत थी, दुरवेशों, मिस्कीनों और मुसाफिरों की तीमारदारी देखभाल करते और हक के तालिबों की जमात में निहायत शफकत से बैठते थे।
अनक़रीब ओवैस करनी सानी हो जाओगे
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा कादरी ओवैसी रहमतुल्लाह अलैह! फरमाते हैं के में ने एक शब् ख्वाब में हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम की ज़ियारत से फ़ैज़याब हुआ, तो आप नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम ने फ़रमाया तुम अनक़रीब ओवैस करनी सानी, हो जाओगे, तो में ने अर्ज़ की ऐ महबूबे खुदा! में इस के काबिल नहीं हूँ, मुझ पर जो अल्लाह पाक का फ़ज़्लो करम है, वो आप ही की बदौलत है, हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम ने फिर दोबारा यही फ़रमाया के “सय्यद हसन तुम अनक़रीब ओवैस करनी सानी! हो जाओगे” हज़रत सय्यद हाशिम रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं यही वजह थी के आप को हज़रत ओवैस करनी सानी रहमतुल्लाह अलैह का आला मनसब हासिल हुआ, और ये के हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा कादरी ओवैसी रहमतुल्लाह अलैह! का उसूल सिलसिलए तरीकत हज़रत ओवैस करनी रदियल्लाहु अन्हु के मुशाबेह था, और रूहानी तौर पर आप से फीयूज़ो बरकात हासिल किए, यानि तसफ़ियाए क्लब, और शाराके बातिन, ज़ाहिरी तालीमों तल्कीनों तरबियत बराहेरास्त हुज़ूर नबी करीम सलल्लाहु अलैही वसल्लम से हासिल था।
करामत
मन्क़ूल है के एक बेगम ने अपने ख्वाजा सरा के हाथ दो हज़ार रूपये दे कर आप की खिदमत मुबारिका में भेजा और इस्तिदआ (दुआ) की के इस मोतक़िदा का हमल गिर जाता है, ठहर नहीं पाता, आप दुआ फरमाएं के अल्लाह पाक इस मुसीबत से निजात दे और औलाद अता फरमाए, आप ने कलंदराना अंदाज़ में इरशाद फ़रमाया “बेगम वहां और फ़कीर यहाँ” ख्वाजा सरा ये बात सुनकर बहुत खुश हुआ और भेजी हुई रकम वहां के लोगों को सौंप कर बेगम के पास आया और इस को करारे हमल की खुशखबरी दी, अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम और आप की बरकत से पूरा बच्चा वक़्ते मुक़र्ररा पर पैदा हुआ।
वफ़ात
हज़रत ख्वाजा हसन रसूल नुमा देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने हज़रत औरंगज़ेब आलमगीर रहमतुल्लाह अलैह! के दौरे हुकूमत 1103/ हिजरी मुताबिक 1651/ ईसवी में वफ़ात पाई और अपने मदरसा के सहन में दफ़न हुए।
मज़ार मुबारक
आप का मज़ार शरीफ दिल्ली में पंचकुइयां रोड पर पालिका पैलेस से आगे दिल्ली 1, में एक बड़े अहाते में मरजए खलाइक है, चारो तरफ अपनों और गेरो ने कब्ज़ा कर रखा है, खानकाह की हालत बहुत ही ना गुफ्ता बिहि है।
आप के खुलफाए किराम
आप के फ़रज़न्द हज़रत सय्यद हाशिम ओवैसी
हज़रत सईद
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
- रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
- औलियाए दिल्ली की दरगाहें
- दिल्ली के बत्तीस 32, ख्वाजा
- कसरे आरिफां