हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

विलादत शरीफ

हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! आप के वालिद माजिद शहर मुल्तान के रहने वाले थे, वहां से हिजरत कर के सूबा बिहार तशरीफ़ लाए, और एक मुद्दत तक हज़रत शैख़ बुड्डाह हक्कानी रहमतुल्लाह अलैह से तालीम हासिल की, बिहार ही में 831/ हिजरी में हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! की पैदाइश।

तालीमों तरबियत

उसी दौर में हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने एक बुज़रुग से “फुसुसुल हिकम” की तालीम शुरू की और आप के वालिद माजिद इस किताब के मुखालिफ थे, उन्होंने एक दिन, मस्लए तौहीद के बारे में आप से मालूम किया तो आप ने उल्माए ज़ाहिर की ऐसी वज़ाहत से बयान किया के आप के वालिद साहब को भी इस मसले में चंद मुश्किलें थीं, वो दूर हो गईं, इस के बाद आप को “फुसुसुल हिकम” पढ़ने से मना ना फ़रमाया।

खिलाफ़तो इजाज़त

हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! को शुरू जवानी ही से हक़ की तलाश में रहा करते थे, इस लिए आप ने फकीरों दुरवेशों की सुहबत इख्तियार फ़रमाई, उस ज़माने में हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह की बुज़ुरगी विलायत का खासो आम में बहुत चर्चा था, हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! भी इम्तिहान की गर्ज़ से इन की बारगाह में हाज़िर हुए और पहली ही मुलाकात में आप के मोतक़िद व शैदा हो गए, उल्माए किराम में से आप ही पहले आलिम हैं, जो हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हुए, और आप के फ़रज़न्द हज़रत सय्यद नूर रहमतुल्लाह अलैह से खिलाफत हासिल की,

दिल की बात जानली

मन्क़ूल: है के हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत मौलाना इलाह दाद साहब तालीम हासिल करते वक़्त साथी थे, और दोनों के दरमियान बहुत उल्फतो मुहब्बत थी, हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! जब हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हुए, तो हज़रत मौलाना इलाह दाद साहब ने फ़रमाया के मियां हसन! तुम ने तालिबे इल्मो की इज़्ज़त ख़ाक में मिला दी, (एक आलिम होते हुए फ़कीर से मुरीद हो गए) हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! ने जवाब दिया के एक दिन आप मेरे साथ चलें और उनका इम्तिहान ले लेना, तो आप खुद समझ लेंगें के में माज़ूर होंगे,

दूसरे रोज़ हज़रत मौलाना इलाह दाद साहब हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह के पास जाने के लिए तय्यार हो गए, हज़रत मौलाना इलाह दाद साहब ने इम्तिहान के लिए जाते वक़्त हिदााया! और बज़ूरी! के चंद मुश्किल मसले याद कर लिए, चुनांचे मियां हसन अपने दोस्त मौलाना को लेकर हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में पहुंचे तो इस साफ़ बातिन दुर्वेश हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी आदत और मामूल के मुताबिक अपने हालात बयान करने शुरू कर दिए और इन अहवाल को कुछ इस अंदाज़ से बयान किया के गुफ्तुगू के दौरान ही हज़रत मौलाना इलाह दाद साहब के इश्कालात को हल कर दिया, इस के बाद मौलाना भी हज़रत ख्वाजा राजी हामिद शाह रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हो गए और इबादतों रियाज़त मुजाहिदा में मशगूल हो गए।

दिल्ली में आप की आमद

हज़रत ख्वाजा शैख़ हसन ताहिर चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह! शुरू में जौनपुर से आगरा तशरीफ़ लाए और एक ज़माना तक अहले आगरा को फैज़ान पहुंचाते रहे, इस के बाद दिल्ली तशरीफ़ ले आए, और वहां जयमंडल, में जो के बेगमपुर में है, मआ बाल बच्चों के रहने लगे, मन्क़ूल: है के एक मर्तबा सुल्तान सिकंदर का भाई जिस पर हुकूमत करने का जूनून सवार था वो आप का मुरीद था वो, इसी ख़याल को ले कर वो एक दिन आप के पास आया और अर्ज़ किया के हज़रत! दुआ फरमाएं के अल्लाह पाक दिल्ली की हुकूमत मुझे अता फरमा दे, आप ने इस को खाम ख़याली से मना करते हुए इरशाद फ़रमाया: अल्लाह पाक ने अपने फ़ज़्लो करम से तुम्हारे करम से एक भाई को हुकूमत अता फ़रमाई है, तुम इससे कोई इख्तिलाफ व हसद वगेरा न करो बल्के इस के ताबे हो कर रहो, जब इस की खबर सिकंदर को हुई तो वो आप के साथ बहुत अदब व एहतिराम से पेश आया और हाज़िर हो कर कदम बोसी की सआदत हासिल की।

विसाल

आप रहमतुल्लाह अलैह ने बादशाह सिकंदर लोधी के दौरे हुकूमत में 24, रबीउल अव्वल 909/ हिजरी मुताबिक 1503/ ईसवी में हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ जयमंडल, बेगमपुर में मरजए खलाइक है, जिस को सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने तामीर कराया था और अक्सर औलादों की कब्रें भी यहीं मौजूद हैं।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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