हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यद हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यद हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह

बैअतो खिलाफत

हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यदुल हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! बड़े आबिदो ज़ाहिद साहिबे तक़वा के पैकर थे, कुरआन शरीफ की तिलावत कसरत से करते और तिलावत के वक़्त बहुत रोते थे, आप के वालिद मुकर्रम का नाम वहीदुद्दीन कुरैशी रहमतुल्ला अलैह है, आप का असली नाम “मसरूफ” है, हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यदुल हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह और आप के बेटे दोनों सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के मुरीद हैं, जब आप की पैदाइश हुई तो उसी रोज़ आप के वालिद मुकर्रम आप को लेकर सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में हाज़िर हुए, ताके आप का नाम रखवाएं, उस वक़्त सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह वुज़ू फरमा रहे थे,

जब आप वुज़ू से फारिग हुए तो आप के वालिद मुकर्रम ने आप को सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की खिदमत में पेश किया, आप ने वुज़ू का बचा हुआ पानी आप के मुँह में डाल कर फ़रमाया के इस मसरूफ़े ज़माना की अच्छी तरह परवरिश करना क्यों के ये ज़माने के मशहूर लोगों में से होगा, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़बान मुबारक से चूंके मसरूफ! निकला था इस लिए आप के वालिद साहब ने आप का नाम मसरूफ! रखा, आगे चलकर वही हुआ जो अल्लाह पाक के दोस्त सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़रमाया था के ये मसरूफ़े ज़माना होगा।

सय्यदुल हिजाब कहने की वजह तस्मिया

हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यदुल हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! आप इबादतों रियाज़त में मशगूल हुए और हरमैन शरीफ़ैन ज़ादा हल्लाहु शरफउं व तअज़ीमा की ज़ियारत को तशरीफ़ ले गए, फिर दिल्ली तशरीफ़ लाए और मुहम्मद तुगलक के दौरे हुकूमत में इमादुल मलिक के उहदे को ज़ीनत बख्शी, फिर फ़िरोज़शाह की हुकूमत के दौर में तकरीबन 40/ साल तक बादशाह के खास मुसाहिब में रहे, बादशाह खल्वतो जल्वत में आप को अपने साथ रखता था और उसी की तरफ से आप को “सय्यदुल हिजाब” का लक़ब अता हुआ था, बादशाह की कुर्बत की वजह से आप के ज़रिए गरीबों, फरकीरों को बहुत फ़ायदा हुआ, आप का ये मामूल था के जब दरबर शाही से अपने घर तशरीफ़ लाते तो इबादतों रियाज़त में मशगूल हो जाते थे,

विसाल

हज़रत ख्वाजा शैख़ मलिक सय्यदुल हिजाब देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने फ़िरोज़ शाह के दौरे हुकूमत में 793/ हिजरी में हुआ।

मज़ार मुबारक

आप का मज़ार शरीफ लाडो सराए महरोली शरीफ दिल्ली 30/ में गिराम सय्यदुल अजाइब में एक कदीमी कब्रिस्तान में मरजए खलाइक है।

“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”

रेफरेन्स हवाला

रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली

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