इस्मे गिरामी
आप का नामे मुबारक शमशुद्दीन अताउल्लाह है, औता दल्लाह, औता दुल्लाह, और पत्ते शाह! के नाम से मश्हूरो मारूफ हैं, आप ने रूहानी तौर पर सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख्वाजाए ख्वाजगान ख्वाज़ा गरीब नवाज़ मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह से फैज़ हासिल किया था, वैसे आप सोहरवर्दी सिलसिले में किसी से मुरीद थे, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! के हम ज़माना हैं।
शानो अज़मत
हज़रत ख्वाजा शमशुद्दीन उर्फ़ पत्ते शाह देहलवी रहमतुल्लाह अलैह बड़े साहिबे करामत बुज़रुग थे, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! फ़रमाया करते थे के अगर किसी को दीनो दुनिया की हाजतें जल्द पूरी करनी हैं, तो वो हमारे शमश! से हासिल कर ले और अक्सर लोगों को आप हज़रत ख्वाजा शमशुद्दीन उर्फ़ पत्ते शाह देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की बारगाह में भेजा करते थे,
आप हमेशा आग जला कर उसकी राख पर बैठ जाया करते थे और करीब ही में एक कब्र की तरह जगह बना रखी थी रात में उसी में रहते थे और अपने ऊपर राख डाल लिया करते थे ताके कोई पहचान ना सके, सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! जब आप की मुलाकात के लिए आते तो उस कब्र में छुप जाते थे, जब आप से मालूम किया जाता के आप ऐसा क्यों करते हैं? क्यों के सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! हज़रत शैख़ बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह के खलीफा हैं बावजूद इतनी बुज़ुर्गी और शान के आप के पास मुलाकात को आते हैं, लेकिन आप उन से मुलाकात नहीं करते उन के आने पर कब्र में छुप जाते हैं, इस में क्या राज़ खूबी है?
आप ने जवाब दिया के वो अज़ीमुश्शान वली हैं, लेकिन दुनियावी जाहो जलाल बहुत है, फ़कीर तारिकुद दुनिया को उन की मुलाकात ज़ेब नहीं मगर मेरा ग़ुस्ल कफन दफ़न और नमाज़े जनाज़ा वगेरा व्ही करेगें, चुनांचे ऐसा ही हुआ।
हज़रत ख्वाजा शमशुद्दीन उर्फ़ पत्ते शाह देहलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी पाक हमेशा तन्हाई में गुज़री, आप ना किसी के पास जाते और ना कोई आप के पास आता क्यों के आप को ख़ल्वत पसंद थी, कभी कभी अपने हाथ से खाना बना कर खा लिया करते थे, एक सय्यद ज़ादा आप के करीब में रहते थे सिर्फ इन्ही से उन्स रखते थे।
वफ़ात
आप ने सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के दौरे हुकूमत 7/ रजाबुल मुरज्जब 700/ हिजरी मुताबिक 1295/ ईसवी को वफ़ात पाई, वसीयत के मुताबिक सरकार महबूबे इलाही निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने अपने मुबारक हाथ से ग़ुस्ल दिया और नमाज़े जनाज़ा पढाई।
मज़ार शरीफ
आप का मज़ार शरीफ दिल्ली में हुमायो के मकबरा से मुत्तसिल पूरब की जानिब मशरिक़ी बस्ती हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया दिल्ली में मरजए खलाइक है।
“अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उन के सदके में हमारी मगफिरत हो”
रेफरेन्स हवाला
रहनुमाए मज़ाराते दिल्ली
औलियाए दिल्ली की दरगाहें