हज़रत मौलाना सिराज रज़ा खान कादरी नूरी बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली

हज़रत मौलाना सिराज रज़ा खान कादरी नूरी बरेलवी मद्दा ज़िल्लू हुल आली

विलादत शरीफ

नवासए मुफ्तिए आज़म हिन्द, नबीरए उस्ताज़े ज़मन, पीरे तरीकत रहबरे रहे शरीअत, शमए कोमो मिल्लत हज़रत अलामा व मसौलाना अल हाज अश्शाह मुहम्मद सिराज रज़ा खान साहब क़िबला! इब्ने, हज़रत मौलाना अल हाज मुहम्मद इदरीस रज़ा खान बिन, हकीम हुसैन रज़ा खान बिन, उस्ताज़े ज़मन हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान बा तारीख 12/ सितम्बर 1954/ ईसवी को मोहल्ला ख्वाजा क़ुतुब बरैली शरीफ में पैदा हुए।

तालीमों तरबियत

हज़रत मौलाना सिराज रज़ा खान कादरी नूरी साहब क़िबला! ने घर के दीनी व मज़हबी माहौल में इब्तिदाई ज़रूरी तालीम वालिद मुहतरम हज़रत मौलाना इदरीस रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह, हुज़ूर सदरुल उलमा अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह! और हज़रत मौलाना रईस मियां साहब से हासिल की, इस के बाद असरी तालीम के लिए कॉलिज का रुख किया और वहां बी, ऐ, तक तालीम हासिल की, आप ने अपने नाना जान हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! की आखरी लम्हाए हयात तक बेमिसाल खिदमतें अंजाम दीं, आप को सफ़रों हज़र में भी हज़रत की रिफाकत व मईयत हासिल रही, यही वजह है के आप मुतादाविला की मुकम्मल तालीम हासिल न कर सके, आप ही वो खुश नसीब नवासे हैं जिन की गोद में हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! ने दाई अजल को लब्बैक कहा और आप की रूह कफासे उन्सरी से परवाज़ कर गई।

औलाद अमजाद

आप की तीन औलादें हैं, एक साहबज़ादे हज़रत मौलाना फैज़ रज़ा खान और दो साहबज़ादियाँ (1) शाज़ियाँ खान (2) फाइज़ा खान हैं, बड़ी साहबज़ादी का अक़्द मस्नून जनाब कामिल बेग अज़हरी, मुहल्लाह बिहारीपुर बरैली से हुआ, जिन से एक एक साहबज़ादी मारिया मिर्ज़ा अज़हरी! और एक साहबज़ादा अकमल बेग अज़हरी यादगार हैं,
आप के सआदतमंद शहज़ादे हज़रत मौलाना फैज़ रज़ा खान तहसीनी ख़लीफ़ए हुज़ूर ताजुश्शरिया रदियल्लाहु अन्हु! व हुज़ूर सय्यद सुहेल मियां बिलगिराम शरीफ साहिबे सज्जादा ने अपने खानदानी बुज़र्गों की रिवायात के पासबाँ व अमीन हैं, मसलके आला हज़रत की तरवीजो इशाअत और मुहद्दिसे बरेलवी के आफ़ाकि पैगाम को घर घर पहुंचाने में हमातन मसरूफो मशगूल हैं, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हुज़ूर सदरुल उलमा के फ़ैज़ाने करम के साए तले रोज़ अफ्ज़ु तरक्की अता फरमाए ।

ज़ियारते हरमैन शरीफ़ैन

आप 2006/ ईसवी में हज्जो ज़ियारत की दौलते उज़्मा से सरफ़राज़ हुए।

इजाज़तो खिलाफत

आप ताजदारे अहले सुन्नत हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के दस्ते हक परस्त पर बैअत मुरीद हो कर दुनियाओं आख़िरत की कामयाबी से हमकिनार हुए, हुज़ूर ताजुश्शरिया रदियल्लाहु अन्हु! और नबीरए फ़तेह बिलगिराम हुज़ूर सय्यद सुहेल मियां बिलगिराम शरीफ साहिबे सज्जादा खानकाहे वाहिदीय बिलगिराम शरीफ हरदोई ने भी खिलाफ़तो इजाज़त से नवाज़ कर आसमाने तरिकतो मारफत का दरख शिनदह सितारा बनाया,
अल्हम्दुलिल्लाह! आप भी रुश्दो हिदायत और तबलीगो इरशाद का काम बा हुस्ने खूबी अंजाम दे रहे हैं, फ़ैज़ाने मुफ्तिए आज़म तकसीम कर रहे हैं।

आप की दीनी खिदमात

आप “यौमे मुफ्तिए आज़म हिन्द” तकरीबन 18/ साल से पाबंदी और निहायत तुज़को एहतिशाम के साथ इस्लामिया इंटर कॉलिज बरैली में हर साल ज़िल हिज्जा की 22/ तारीख को मुनअकिद करते हैं, जिस में शहर व बैरूने शहर के उल्माए किराम व मशाईखे इज़ाम खुत्बा शोआरा और अकीदतमंदों को अज़ीम इज्तिमा होता है, और सब लोग हुज़ूर मुफ्तिए आज़म हिन्द मुस्तफा रज़ा खान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह! के फियूज़ो बरकात और अनवारो हसनात से खूब खूब मुस्तफ़ीज़ होते हैं,
इस के अलावा आप ने 2010/ ईसवी में नोनिहालाने इस्लाम की दीनी तालीमों तरबियत के लिए एक अज़ीम इदारा बा नाम “दारुल उलूम मुफ्तिए आज़म” मोज़ा सिरोही थाना धमोरा, तहसील औंला ज़िला बरैली में काइम फ़रमाया, जहाँ बुनियादी और ठोस तालीम के साथ हिफ्ज़ो किरात और असरी तालीम का भी माकूल नज़्मों नस्क है, सैंकड़ों मकामी तलबा व तालिबात ज़ेवरे इल्मे दीन से आरास्ता व पैरास्ता हो रहे हैं, ये इदारा आप की उम्दा क़ियादत व सरपरस्ती में रोज़ बरोज़ शाहराह तरक्की गामज़न है, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त आप का सयाए आतिफ़ात तादेर सलामत रखे अमीन।

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