नसब नामा
मुहम्मद सुहेब रज़ा खान इब्ने सदरुल उलमा हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान रदियल्लाहु अन्हु इब्ने उस्ताज़ुल उलमा हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खान बिन, उस्ताज़े ज़मान हज़रत अल्लामा हसन रज़ा खान बिन, रईसुल मुता कल्लिमीन हज़रत अल्लामा मुफ़्ती नकी अली खान बिन, हज़रत अल्लामा रज़ा अली खान बिन, हाफ़िज़ काज़िम अली खान बिन, मुहम्मद आज़म खान बिन, सआदत यार खान बिन, शुजाअत जंग मुहम्मद सईदुल्ल्ह खान रिद्वानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन।
विलादत
आप की विलादत 29/ शाबानुल मुअज़्ज़म मुताबिक 12/ जून 1985/ इस्वी बरोज़ हफ्ता हुई, खानदानी रिवायात के मुताबिक़ जब आप की उमर चार साल चार महीना चार दिन हुई तो जानशीने मुफ्तिए आज़म हिन्द हुज़ूर ताजुश्शरिया मुफ़्ती अख्तर रज़ा खान रहीमाहुल्लाह ने आप की बिस्मिल्लाह ख्वानी कराइ।
तालीमों तरबियत
आप ने तालीम का आगाज़ घर के दीनी, इल्मी, व रूहानी, और अदबी माहौल में किया, कुरआन शरीफ हज़रत मौलाना शमीमुल्लाह से पढ़ा, और उर्दू की इब्तिदाई किताबें हज़रत मुफ़्ती खुर्शीद मुस्तफा साहब से पढ़ीं, अरबी और फ़ारसी किताबें हज़रत अल्लामा मुफ़्ती काज़ी शहीद आलम साहब से पढ़ीं, इसी दरमियान 2/ किलास तक हीरो स्कूल रामपुर गार्डन में तालीम हासिल की, बिशप कोरेंड हाई स्कूल में ऐडमिशन लेकर वहां का कोर्स पूरा किया, और इंटर साइंस साइड से मुकम्मल किया, वाज़ेह रहे के असरी तालीम की मसरूफियत के बावजूद वालिद मुहतरम के हमराह अक्सर इन की दर्स गाह जामिया नूरिया बाकर गंज में इल्मे दीन हासिल करते रहे, इस तरह असरी उलूम के साथ उलूमे दीनिया से भी आप का सीना रोशन व मुजल्ला होता चला गया,
इंटर के बाद 2004/ इस्वी में आई, आई, टी, एम, जे पी, रोहेलखण्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2008/ इस्वी को इंजीनियरिंग मुकम्मल की, इस के बाद रिज़्के हलाल के लिए कोएत, सऊदी, अरब, और दुबई में जॉब की।
असातिज़ाए किराम
- सदरुल उलमा हज़रत अल्लामा मुफ़्ती तहसीन रज़ा खान बरेलवी
- हज़रत अल्लामा मुफ़्ती खुर्शीद मुस्तफा
- हज़रत अल्लामा मुफ़्ती काज़ी शहीद आलम
- हज़रत कारी मुहम्मद इरफ़ान साहब
- हज़रत हाफ़िज़ साजिद साहब
- हज़रत ज़हीरुद्दीन साहब
इजाज़तो खिलाफत
शहज़ादए नामदार हज़रत मुहम्मद सुहेब रज़ा खान साहब! को 4/ साल की उमर में अपने वालिद माजिद से बैअत का शरफ़ हासिल हुआ, और 2013/ इस्वी में हुज़ूर अमीने शरीअत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती सिब्तैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह से इजाज़तो खिलाफत! हासिल हुई,
अल्हम्दुलिल्लाह! आप अपनी जाए क़याम मुहल्लाह कांकर टोला, पुराना शहर बरैली शरीफ से तबलीग़े दीन व सुन्नियत और तरवीजे मसलके आला हज़रत में शबो रोज़ मसरूफ व मुंहमिक हैं, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त सेहतो सलामती के साथ उमर दराज़ अता फरमाए, अमीन।
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रेफरेन्स हवाला
तज़किराए खानदाने आला हज़रत